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जमाना तो आखिर ऐसा ही है......!!! Hindi suvichar

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सुनने की आदत डालो, ताने मारने वालों की कमी नहीं है..... मुस्कुराने की आदत डालो, रूलाने वालों की कमी नहीं है.... उपर उठने की आदत डालो, गिराने वालों की कमी नहीं है.... प्रोत्साहित की आदत डालो, हताश करने वालों की कमी नहीं.... सच्चा व्यक्ति ना तो नास्तिक होता है, ना ही आस्तिक होता है.... छोटी छोटी बातें दिल में रखने से, बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं.... कभी पीठ पिछे आपकी बात चले तो, घबराना मत.... क्योंकि.... बात तो उनकी होती है, जिनमें कोई बात होती है.... निंदा उसी की होती है, जो जिंदा होते हैं..... मरने के बाद तो‌, सिर्फ तारिफ ही होती है.....!!! प्रभात.........

बिना माँ और पा के क्या है सब कुछ.....!!! Hindi Being human poem

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आँखे खोली बिछड़ा सब कुछ बिना माँ और पा के क्या है सब कुछ दुनियाँ का गन्दा नाला पीता रहा बड़ा हुआ कैसे ये मुझे ना याद रहा सीखा ना कुछ भी ना शिक्षा मिली रोज मुझे नीत नवी मंजिल मिली उदर पीड़ा ने क्या क्या सिखाया मेहनत ने तो मुझे कई बार भूखा सुलाया फिर भी कांटो पे चलता था रोज पानी सा रास्ता बना के चलता था बेकाबू सा मन था मेरा काबू ना कर पाता था   एक तो उदर पीड़ा दूसरा समाज सताता था मै गरीब सही मेरा ईमान गरीब नही है   मै भूखा नंगा सही पर मेरे ख़्वाब नग्न नही है चल रहा हूँ उस रास्ते पे चलता रहूँगा हमेशा चाहे भूख से मर जाऊं पर अपना ईमान ना बेचूंगा प्रभात.........

मैं....और....वो.....!!! Hindi love poem

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                         मैं और वो.... मैं सुबहा की पहेली किरण हुं तो,              वो शाम सी मदहोश है.... मैं अगर रस का प्याला हुं तो,              वो मदिरा का कोस है.... मैं ईश्क नदियों सा हुं निर्मल तो,              वो प्यार सागर सा गहेरा है.... मैं धुंध अगर हुं ओस का तो,              वो चाँदनी का पहेरा है.... मैं अगर मंडराता बेताब भंवरा हुं तो,              वो गुलाब सी कमसीन कली है.... मैं जो ठहरा शांत सरोवर हुं तो,             वो उछलते झरने सी मंनचली है..…. मैं अगर दो नैंन हुं तो,   ...

वो कौन था जिसे, बेपनाह मोहब्बत थी तुमसे....??? Hindi sad love poem

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कभी जो याद आए, तो पुछना अपने दिल से.... वो कौन था जिसे, बेपनाह मोहब्बत थी तुमसे....? तुम्हारी एक सदा पर, जो दौड़ आया करता था.... तुमसे मिलने को हर पल, जो तड़पा करता था.... अपने एहसासों को, जो दिल में दबाए रखता था.... वो कौन था जिसे, बेपनाह मोहब्बत थी तुमसे....? वो जिसे फक्र था, तुम्हारे ही रूकसार से.... वो जिसे इश्क था, तुम्हारी ही एक मुस्कान से.... वो जिसे रब्ता था, तुम्हारे ही तसव्वुर से.... वो कौन था जिसे, बेपनाह मोहब्बत थी तुमसे....? वो जिसने कर दी तमाम उम्र, मोहब्बत में नाम तुम्हारे.... वो जिसने बहाए अक्श, ख्यालों में तुम्हारे.... वो जिसने पसंद किया था, हर अंदाज को तुम्हारे.... वो कौन था जिसे, बेपनाह मोहब्बत थी तुमसे....? वो जिसे पसंद थी, कही हर बात तुम्हारी.... वो जिसे पसंद था, मदहोश होना आंखों में तुम्हारी.... वो जिसे पसंद था, डांटना तुम्हारा और सज़ा तुम्हारी.... वो कौन था जिसे, बेपनाह मोहब्बत थी तुमसे....? वो जिसने भुला दिया, अपनी जिंदगी को मोहब्बत में तुम्हारे.... वो जिसने कर दी थी, अपनी हर एक दुआ नाम तुम्हारे.... वो...

कुछ कहो यूं खामोश न रहो....!!! (Kuchh kaho Yun khamosh na raho...!!)Hindi suvichar

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कुछ कहो यूं खामोश न रहो, अपनों को यूं अपनों से दूर मत करो, कहां गया वो बातों का ताना-बाना, कहां गया वो मुस्कुराहटों का मुस्कुराना, रिश्तों में तो उलझने आती-जाती रहेगी, पर उलझनों कोे हमें ही तो है सुलझाना, कहीं रहे ना जाए जिंदगी की अधूरी कहानी, मिलना बिछड़ना तो खेल सदियों पुराना, जितना भी जीए हंसते मुस्कुराते हुए, अंत में शेष हर दिल में प्रेम ही रह जाए...!! प्रविन........✍ Kuchh Kaho Yun, khamosh na raho.....! Apnon ko yun, apno se door Na Karo.....! Kahan gaya vah, baton ka Tana bana.....! Kahan gaya vah, muskurahat ka muskurana......! Rishton mein to, uljhane aati jati rahegi.......! Par uljhano ko, hamen hi to hai suljhana......! Kahin rahna jaaye, jindagi ki adhuri Kahani.......! Milana bichhadna to, khel Hai sadiyo purana.......! Jitna bhi jiye, hanste muskurate hue jiye.......! Aant mein shesh, har Dil mein Prem hi rah Jaye......!! Pravin.........✍

सबको मुबारक हो, मकर संक्रांति का ये त्यौहार.....!!! Hindi Makar sankranti poem

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दिल की पतंग में जुड़ी, रिश्तों की डोरी... प्रित के आसमान में उडे, ये पतंग सारी... रंगा है आसमां आज, खुशियों के रंग में... तिल गुड़ के मिठास में धूली, ये दुनिया सारी... सूरज की होगी आज, मकर पर संक्रांति... शुभ कार्य की शुरुआत, होने लगी सारी... क्या बड़े क्या छोटे, सब का छतों पर हुजूम है... सोर मचा के मस्ति करें, जब पेंच की हो तैयारी... खुशियों उत्सव ले कर, आता है यह पर्व... सबको मुबारक हो, मकर संक्रांति का ये त्यौहार.....!!! प्रभात 💞 प्रतिभा

पर फिर कभी तुझसे मेरी पहचान न हुई...!!! Hindi sad love poem

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तुझे चाहने की चाहते कभी कम न हुई, ये और बात है की तुझसे कभी बात ‌न हुई, ख्वाहिश बहुत थी पत्थरों की वो मूरत बने‌, पर मूरत बनाने वाले से उनकी मुलाकात न हुई, हमेशा तुझसे वफ़ा ही करता एसा भी क्या, पर चाह कर भी तुझसे कभी बेवफाई न हुई, मैं तुझसे मिलने आ तो जाता मेरे यार, पर मेरे इंतजार में तेरी आंखें कभी नम ही न हुई, यूं तो सजावट के आईने मेरे घर में भी थे, पर फिर कभी तुझसे मेरी पहचान न हुई, प्रभात............