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Showing posts from February 26, 2018

चढाऊँ क्या तुझे भगवन.....?? प्रार्थना सुबह की....

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🙏🌹प्रार्थना 🌹🙏 कोई सोना चढाए , कोई चाँदी चढाए ; कोई हीरा चढाए , कोई मोती चढाए ; चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ; अगर मैं फूल चढाता हूँ , तो वो भँवरे का झूठा है ; अगर मैं फल चढाता हूँ , तो वो पक्षी का झूठा है ; अगर मैं जल चढाता हूँ , तो वो मछली का झूठा है ; अगर मैं दूध चढाता हूँ , तो वो बछडे का झूठा है ; चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ; अगर मैं सोना चढ़ाता हूँ , तो वो माटी का झूठा है ; अगर मैं हीरा चढ़ाता हूँ , तो वो कोयले का झूठा है ; अगर मैं मोती चढाता हूँ , तो वो सीपो का झूठा है ; अगर मैं चंदन चढाता हूँ , तो वो सर्पो का झूठा है ; चढाऊँ क्या तुझे भगवन, कि ये निर्धन का डेरा है ; अगर मैं तन चढाता हूँ , तो वो पत्नी का झूठा है ; अगर मैं मन चढाता हूँ , तो वो ममता का झूठा है ; अगर मैं धन चढाता हूँ , तो वो पापो का झूठा है ; अगर मैं धर्म चढाता हूँ , तो वो कर्मों का झूठा है ; चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है ; तुझे परमात्मा जानू , तू ही तो है – मेरा दर्पण ; तुझे मैं आत्मा जानू , करूँ मैं आत्मा अर्पण. सुप्रभात दोस्तों

मैं भी कितनी पगली हूं ...... Hindi love poem....

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मैं भी कितनी पगली हूं ना, बिन जिवन के जीना चाहूं,                       ओढ़ के चुनरिया धानी,                       संग सजन के रहना चाहूं, नगरी अपनी छोड के सारी, दिल की बस्ती बसाना चाहूं,                      मैं भी कितनी पगली हूं ना...., सब रंग छोड के अपने, पिया के रंग में रंगना चाहूं,                     नींदया अपनी छोड के,                     उनके ख्वाबों में बसना चाहूं, दिल में उनकी चाहत के अरमा लिए, उनकी रूह में बसना चाहूं,                     मैं भी कितनी पगली हूं ना, दु:ख दर्द सारे भूल के अपने, उनके साथ खुश रहना चाहूं,                     छोड बाबूल का अंगना अब,                     मैं सजन घर जाना चाहूं, कब ले जा ओगे मुझे डोली में तुम, के अर्धांगिनी अब मैं तुम्हारी बनना चाहूं,                     मैं भी कितनी पगली हूं ना....!! प्रतिभा....... तेरा मेरा साथ रहे 👫