जबसे अपने पराए की पहचान हो गई.......!!! Hindi suvichar
जबसे हमें अपने पराए की पहचान हो गई, तन्हा ही रहता हूं पूरी दुनिया वीरान हो गई।। हंसी के ठहाके गुंजा करते थे जिन गलियों में, अब हाल यूं है की सारी सड़कें सुनसान हो गई।। दिल की सुन जिस ओर चल दिया करते थे क़दम, ठोकरें जो लगी तो रूह से भी पहचान हो गई।। ख्वाहिशों का बचपना भी अब चंचल न रहा, उम्मीदों की हकीकत जब कुछ यूं जवान हो गई।। बिन झरोखों के उजालों की आस रखूं भी तो कैसे, वो टूटी झोपड़ी भी मेरी पक्का मकान हो गई।। चुप रहकर ही अब जज्बातों की स्याही बनाता हूं, हाल-ए-दिल लिखते लिखते कलम महान हो गई।। प्रभात..........