पर फिर कभी तुझसे मेरी पहचान न हुई...!!! Hindi sad love poem
तुझे चाहने की चाहते कभी कम न हुई, ये और बात है की तुझसे कभी बात न हुई, ख्वाहिश बहुत थी पत्थरों की वो मूरत बने, पर मूरत बनाने वाले से उनकी मुलाकात न हुई, हमेशा तुझसे वफ़ा ही करता एसा भी क्या, पर चाह कर भी तुझसे कभी बेवफाई न हुई, मैं तुझसे मिलने आ तो जाता मेरे यार, पर मेरे इंतजार में तेरी आंखें कभी नम ही न हुई, यूं तो सजावट के आईने मेरे घर में भी थे, पर फिर कभी तुझसे मेरी पहचान न हुई, प्रभात............