आज जिंदगी बेहतर कहां है.......!!! Hindi social poem
बीते पलों को याद करके, थोड़ा मुस्कुरा लेते हैं.. यारों....! आज जिंदगी बेहतर कहां है, बस किसी तरह जी लेते हैं.. यारों....! किसी को किसी के लिए फुर्सत कहां, सब अपने में ही मशगूल हैं.. यारों....! बस मोबाइल के जरिए ही अब तो, सब की हाल-खबर पूछ लेते हैं.. यारों....! ना तो है आज परिवारों में एकता, ना ही दिलों में कोई भाव है.. यारों.....! नक़ली मुखौटे में छुपा आज, दुनिया का हर इंसान है.. यारों......! जहां देखो वहां नफरत की, सभी उठा रहे दीवार है.. यारों......! लालच और हवस में आज, इंसान बन रहा हैवान है.. यारों.......!! प्रविन........✍️ Bite palon ko yaad karke, Thoda muskura lete hain...yaron.....! Aaj zindgi behtar kanha hai, Bas kisi tarah jee lete Hain...yaron.....! Kisi ko kisi ke liye fursat Kahan, Sab apne mehi masgul Hain...yaron....! Bas mobile ke jariye hi ab to, Sab ki haal-khabar puchh lete Hain...yaron.....! Na to hai parivaron me ekta, Na hi dilon me koi bhav Hain....yaron.....! Nakli mukaote me chhupa aaj, Duniya ka har insan