मैं....और....वो.....!!! Hindi love poem
मैं और वो.... मैं सुबहा की पहेली किरण हुं तो, वो शाम सी मदहोश है.... मैं अगर रस का प्याला हुं तो, वो मदिरा का कोस है.... मैं ईश्क नदियों सा हुं निर्मल तो, वो प्यार सागर सा गहेरा है.... मैं धुंध अगर हुं ओस का तो, वो चाँदनी का पहेरा है.... मैं अगर मंडराता बेताब भंवरा हुं तो, वो गुलाब सी कमसीन कली है.... मैं जो ठहरा शांत सरोवर हुं तो, वो उछलते झरने सी मंनचली है..…. मैं अगर दो नैंन हुं तो, वो नैंनो की हर आस है..... मैं अगर बेखुमार खुशी तो, वो ही उसका अहेसास है..... मैं कोयल की कुंक हुं तो, वो पपीहे की पी-कहन है..... मैं जो ढलती रात हुं तो, वो उस रात का रोशन जहान है..... मैं बिखरा हुवा ख्वाब हुं तो, वो ख्वाबो की जुडती कड़ी है..... मैं बारिश की पहेली फूहार हुं तो, वो सावन की रीमझीम लड़ी है..... मैं श्यामवर्द में क्रृष्ण हुं तो, वो गोपीओ में राधा है...... मैं अगर ट