मैं....और....वो.....!!! Hindi love poem
मैं और वो.... मैं सुबहा की पहेली किरण हुं तो, वो शाम सी मदहोश है.... मैं अगर रस का प्याला हुं तो, वो मदिरा का कोस है.... मैं ईश्क नदियों सा हुं निर्मल तो, वो प्यार सागर सा गहेरा है.... मैं धुंध अगर हुं ओस का तो, वो चाँदनी का पहेरा है.... मैं अगर मंडराता बेताब भंवरा हुं तो, वो गुलाब सी कमसीन कली है.... मैं जो ठहरा शांत सरोवर हुं तो, वो उछलते झरने सी मंनचली है..…. मैं अगर दो नैंन हुं तो, ...