मैं अपनी असलियत आईने में देखा लेता हुं......!!! Hindi suvichar
जब भी तारीफ करती है, ये दुनिया मेरी...! मैं घर जाकर आईने में, अपनी "असलियत" देख लेता हुं...!! मेरी आवाज़ कभी, उनकी "आवाज़" से ऊंची नहीं होती...! मैं अपने "पिता" की आंखों में, अपना बचपन जो देख लेता हुं....!! अपनी "तन्हाई" पर, जब तरस आने लगता है मुझे...! मैं खिड़की खोल के, उस "चांद" को देख लेता हुं....!! बहुत बेचैन हो जाता है, जब कभी "मन" मेरा....! मैं घर जा कर, अपनी "मां" का चेहरा देख लेता हुं...!! इस जहां से "मोहब्बत" जब, बहुत ज्यादा होने लगती है....!