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एक तू ही मेरे लिए खाश है... मां...!! Mother' Hindi poem

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रब की बनाई इस दुनिया में, एक तू ही मेरे लिए खाश है... मां...! तुझसे ही है ये वजूद मेरा, तुझसे जुड़ी मेरी हर आश है....मां...! वक्त के पन्ने जब पलटू तो, बचपन की सुनहरी याद है.....मां.....! लिपटा रहता तेरे आंचल से, तेरे आंचल की मीठी छांव है....मां....! बोलना सिखा जो शब्द मैंने, वो पहला शब्द तो मां ही था....मां.....! चुल्हे की बनी रोटीयों में भी, तेरे हाथों की ही मिठास है....मां.....! मेरी शैतानीयों पे तेरे गुस्से में, मुझे दिखता हमेशा प्यार ही....मां....! कभी शक्त तो कभी नरम, ऐसा प्यारा तेरा स्वभाव था....मां.....! चला था जब मैं पहली दफा, तेरी ऊंगली का ही सहारा था....मां....! दाखिला हुआ जब स्कूल में, तुझसे बिछड़ के बड़ा रोया था....मां....! छुप कर मुझे देखते हुए तब, तू भी सिसक कर खूब रोई थी....मां.....! सिखाईं जो दुनियादारी की बातें, वो आज भी सारी मुझे याद है....मां....! बस एक तू ही नहीं है पास मेरे, पर तेरी यादें हर पल मेरे साथ है..... मां.....! रब की बनाई इस दुनिया में, एक तू ही मेरे लिए खाश है... मां.....!!! प्रविन.