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Showing posts from March 20, 2018

मगर ना जाने छूप गई है तू कहां..... Hindi love poem....

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तेरी तलाश में है दिल,                 तेरी ही आश लिए है...... मगर ना जाने छूप गई है तू कहां.....  आंखों में बहोत ही बेचेनी है,                बस एक नजर को तेरी...... मगर ना जाने छूप गई है तू कहां..... मैं तुमको प्यार करूँ कितना,                पर तुमको खबर ही कहां..... मगर यकिन है बस ईतना की,        ‌        तुम मीलोगी मुझे एक दिन..... सदा ही साथ रही तमन्ना यही,                मगर ना जाने छूप गई है तू कहां.... तुझे ही सोचूं तुझे ही चाहूं,                तेरा ही हर पल मैं इन्तज़ार करूँ......  मगर ना जाने छूप गई है तू कहां.....  तू ही है जिन्दगी मेरी,              ज़ीयूं मैं बस तेरे ही लिए......  मगर ना जाने छूप गई है तू कहां......!!  प्रभात........ तेरा मेरा साथ रहे 👫

आखिर क्यूँ.......?? Hindi love poem......

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आखिर क्यूँ.......??  सोचा है जबसे तुझे,              नींद नही आँखों में क्यूँ.......??  जाना है जबसे तुझे,              बेगाना हो गया हुं खुद से क्यूँ.......??  ईन आँखों में जब देखता हुं तुझे,              खो जाता हुं ईनमे ही क्यूँ.......??  सारी दुनिया को छोड़ कर,              प्यार आता है तुझपर ही क्यूँ.......??  दोस्तों से जब कोई बात करूँ तो,              तेरा नाम लबो पे आजाता है क्यूँ.......?? यूँ तो आँखें खूली ही रहेती है,              खूली आँखों में भी तेरे ही सपने आते हैं क्यूँ.......?? रातें गुजरती है तेरे ख्वाबो में               दिन उगते ही तुझसे मीलने को तडपता हुं क्यूँ.......?? जाना चाहूं जो दूर कहीं               रुक जाता हुं तेरे पास आकर ही क्यूँ.......?? खो चुका हुं मैं सारी दुनिया,              तुझे खोने से आखिर डरता हुं क्यूँ.......?? पता हे मेरे पास नही आवोगे तुम,              फिर भी तुम्हें ही हर बार बुलाता हुं क्यूँ.......?? तुम बोलती हो मुझे ईतना याद और,              मेरी ईतनी फिक्र ना करो......... अब तुम ही बतावो तुम्हें याद और

सुबह मेरी आज सुहानी लगे....... Hindi love poem......

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सुबह मेरी आज सुहानी लगे,  उनका चेहरा बड़ा नूरानी लगे,           सपनों की है वो मेरी सहेजादी,           मासूम सी है वो बड़ी प्यारी,           ख्वाबो में उन्हें रोज मैं बुलाया करूँ,           उन्हें देखते मन गुन-गुनगुनाने लगे.....  सुबह मेरी...............           फूलों सा है उनका चेहरा,           गालों की रंगत है गुलाबी,           उनकी झील सी आँखों में मैं डूबा करूँ,           उनको देखते ही मन मेरा बहकने लगे.....  सुबह मेरी................           उनको देखा है जबसे,           और कोई सूरत मुझे भाती नहीं,           अब तो दुआओं में उन्हें रब से मैं मांगा करूँ,           वो मिल जाए तो जिन्दगी मेरी सँवारने लगे.....  सुबह मेरी................ प्रभात........ तेरा मेरा साथ रहे 👫

तेरी मोहब्बत का कुछ इस तराह एहसास देती जा...... Hindi love poem

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जाते -जाते मोहब्बत की मिठास देती जा.... मिलेगी फिर मुझको ये दिल को आस देती जा.... तडपता रहूं जल बिन मछली की तराह..... आँखों को तेरे दिदार की प्यास देती जा...... उस राह पर खड़ा तेरा इंतजार करता रहूं.... लौट आने की कसम लेकर विश्वास देती जा..... जिसे देख-देख कर गुजार लूँ अपना वक्त...... अपने प्यार की एसी एक निशानी खास देती जा..... दूरी हो चाहे कितनी भी पर दिल में रहेगी मोहब्बत...... तेरी मोहब्बत का कुछ इस तराह एहसास देती जा......  प्रभात..... तेरा मेरा साथ रहे 👫

एक अपील माता पिता की अपने बच्चों के लिए...... G.....M. Hindi suvichar

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🙏 एक अपील माता पिता की अपने बच्चों के लिए....🙏                                       💖👪💖                      जिस दिन तुम हमें बुढा देखो,                               तब सब्र करना,              और हमें समझने की कोशिश करना.....                                      🙏💖🙏                        जब हम कोई बात भूल जायें,                        तो हम पर गुस्सा मत करना,         और अपने बचपन की गलतीयों को याद करना......                                     💖👪💖                   जब हम बुढे़ होकर चल ना पायें तो,                           हमारा सहारा बनना,     और अपने बचपन का वो पहला कदम याद करना......                                    🙏💖🙏                      जब हम बिमार हो जायें तो,      वो दिन याद करके हम पर अपने पैसे खर्च करना,       जब हम तुम्हारी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए,          हम अपनी ख्वाहिशें कुर्बान करते थे.......!!                                 💖👪💖                      दोस्तों उम्र के इस पडाव पर,                    हर किसी को एक दिन ज

लहरा के आंचल जब वो निकली घर से...... Hindi love poem

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लहरा के आंचल जब वो निकली घर से, देख बेतहाशा ये दिल मचल ने लगा......! उड़ने लगे मेरी चाहत के परिंदे, उसे पाने को अब हम तरसने लगे.......! देखते ही रह गए कुदरत की कारीगरी, नूर-ए-हुस्न की ऐसी कहीं मिसाल ना मिली......! रंग रूप ऐसा की अ़ब-ए-आईना भी शर्माए, गुलशन के गुल भी उसे देख जलने लगे.......! बहती हबा भी जैसे उसकी दीवानी हुईं, उसे छु कर करीब से वो भी गुजर ने लगी.......! निगाहों में जैसे उस का ही नशा छा गया, धड़कनें भी अपनी हसरत सुनाने लगी.......! कैसे जोडूं उसके दिल को दिल से यारों, अब तो नेमतों में भी हम उसे मांगने लगे.......! प्रभात......... तेरा मेरा साथ रहे 👫