हाथ पकड़ ले अब भी तेरा हो सकता हूं.....!!! Hindi love poem
हाथ पकड़ ले अब भी तेरा हो सकता हूं। भीड़ बहुत है इस मेले में खो सकता हूं।। पीछे छूटे साथी याद आ जाते हैं मुझको, वरना दौड़ में सबसे आगे हो सकता हूं।। कब समझेंगे जिसकी खातिर फूल बिछाएं, इन रास्तों पर कांटे भी तो बो सकता हूं।। एक छोटा सा बच्चा मुझमें अबतक जिंदा है, छोटी-छोटी बातों पे अब भी रो सकता हूं।। सन्नाटे में दहशत हर पल गूंजा करती है, इस जंगल में चैन से कैसे सो सकता हूं।। सोच समझ कर चट्टानों से उलझा हूं वरना, बहती गंगा में मैं भी हाथ धो सकता हूं।। प्रभात.......... तेरा मेरा साथ रहे 👫 💞