बिना माँ और पा के क्या है सब कुछ.....!!! Hindi Being human poem


आँखे खोली बिछड़ा सब कुछ
बिना माँ और पा के क्या है सब कुछ

दुनियाँ का गन्दा नाला पीता रहा
बड़ा हुआ कैसे ये मुझे ना याद रहा

सीखा ना कुछ भी ना शिक्षा मिली
रोज मुझे नीत नवी मंजिल मिली

उदर पीड़ा ने क्या क्या सिखाया
मेहनत ने तो मुझे कई बार भूखा सुलाया

फिर भी कांटो पे चलता था
रोज पानी सा रास्ता बना के चलता था

बेकाबू सा मन था मेरा
काबू ना कर पाता था 

एक तो उदर पीड़ा दूसरा समाज सताता था
मै गरीब सही मेरा ईमान गरीब नही है 

मै भूखा नंगा सही पर मेरे ख़्वाब नग्न नही है
चल रहा हूँ उस रास्ते पे
चलता रहूँगा हमेशा
चाहे भूख से मर जाऊं
पर अपना ईमान ना बेचूंगा

प्रभात.........

Comments

  1. Khubsurat poem My drrrr..P dv
    Maa se badhkar koi na duja

    माँ का ना कोई मोल है
    माँ बच्चों का साया है
    माँ सा प्यार करे ना कोई
    माँ सा दुलार ना दे कोई
    माँ की गोद में हर सुख है समाया
    माँ की आँखों से कुछ ना छिपा है
    माँ बच्चों के हर दुःख समझती
    माँ बच्चों के हर दर्द को मिटाती
    माँ हर हाल में खुश रहती
    कभी बच्चों को अपने रोने ना देती
    माँ ना हो तो संसार ये अधूरा
    माँ जीवन का अनमोल है गहना

    😢Miss u maa

    Aap hmesha P ke sath rehna maa
    💖 se yhi magti hu

    Zaakkkaasssss poem
    Don't sd uuuuu. My jn
    Nhi to.. 😠

    TMSR... 💞👫
    👌👌🌷🌷💕😘🍫

    ReplyDelete

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