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डर लगता है अब मुझे, इस दुनियां में आने से.....!! Hindi daughter poem

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डर लगता है अब मुझे, इस दुनियां में आने से...............! जहां घूमते हैं खुलेआम, भेडियें इस ज़माने में................! कैसे खुद को बचाऊंगी, इन वहशी हैवानों से................! बस हवस ही भरी है, आज के इंसानों में.................! न दया, न करूणा इनमें, न हीं बेटी का लिहाज है..........! बस जिस्म की भूख मिटाने, घूमता यहां हर शैतान हैं..........! लूटती है जब किसी, मासूम की अस्मत.................! उसके दर्द की चीखों से, रो पड़ता सारा आसमान है......! पर लोगों को कोई फर्क न पड़ता, कहते की अपनी कौन-सी ये रिश्तेदार है........! अखबार की सुर्खियों में होता, फिर उसकी इज्जत का व्यापार है........! दब जाती अंधे कानून की फाईलों में, उस मासूम की दर्द भरी हर चीख है............! प्रभात....... यह पोस्ट मासूम आसिफा को  श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित करता हूं

Mai hun Tera hi Roop maa... Daughter Hindi poem

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दोस्तों जब बेटे की चाह हो और बेटी जन्म लेती है... तब होता है उसका तिरस्कार, और फिर उस नन्ही सी जान की आत्मा मां से कहती है.... ===================== जरा हंस के मुझे तू एक बार देख ले.... मैं हूं तेरा ही रूप मां, तू एक बार देख ले.... तेरी काया से ही बनी है, मां ये काया मेरी, फिर क्यों होता यहां, मेरा तिरस्कार देख ले.... जब उस रब ने ही‌ किसी में, कोई फर्क ना किया, फिर क्यों होता यहां, बेटे-बेटियों में भेदभाव देख ले.... कोई ख्वाहिश ना तुझसे, ना कभी कोई फरमाइश होगी, जितना मिलेगा मां, उतने में ही होगी मेरी बसर देख ले‌.... थोड़े सपने पलकों में सजा के, मैं भी आई हूं यहां, मिले जो आसमान, फिर तू मेरी उड़ान देख ले.... बस थोड़ा पढ़ लिख लूं, इतनी इजाज़त तू देना मुझे, एक दिन गर्व से तू कहेगी, ये है बेटी मेरी दुनिया वालों देख ले.... ======================= बेटी को बोझ नहीं लक्ष्मी का रूप समझो.... अगर बेटी की किमत समझनी है तो‌ मां का रूप समझो... प्रभात.......