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हर स्त्री का सम्मान जरूरी है.....!!! Hindi woman's day poem

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घर में एक चलती, बोलती, लक्ष्मी पानी भरती है.....! अन्नपूर्णा बनकर, भोजन बनाती है.....! गृहलक्ष्मी बनकर, परिवार संभालती है.....! सरस्वती बनकर, बच्चों को शिक्षा देती है.....! दुर्गा बनकर, हर संकट का सामना करती है......! कालिका, चंडी बनकर, घर का रक्षण करती है.....! उसकी पुजा ना सही, पर उसका सम्मान जरूरी है.....! देवी को मंदिर में ही नहीं, पर अपने मन में भी बसाना जरूरी है.....! क्योंकि.......... स्त्री मां, बहन, बेटी, और पत्नी बनकर, अपना फ़र्ज़ खूब निभाती है.....! वो स्त्री ही है जो आदमी को, इंसान बनाती है......!!! नारी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं, सभी नारी को......!!! प्रभात..........

सच में औरतें बेहद अजीब होती है..... Hindi woman's poem

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सच में औरतें बेहद अजीब होती है..... छोड़ कर अपना घर आंगन, नये घर को वो अपनाती..... रिश्ते नाते सारे पीछे छोड़, नये रिश्तों में वो ढल जाती..... भूल कर अपना अस्तित्व, नये नाम से वो जुड़ जाती..... बहु, पत्नी, और मां बन कर, सरे रिश्ते वो खूब निभाती..... सुख मिले या दु:ख मिले, सब हंसते हंसते अपनाती..... खुद की ख्वाहिशें भूल के, सब के अरमान वो पूरा करती.... जन्म तो लेती है वो मायके में, पर अर्थी पे ससुराल से निकलती..... सच में औरतें बेहद अजीब होती है.....!!! प्रभात.........

कुछ ऐसी भी औरतें हैं, Hindi women's day poem

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चेहरे पर मुस्कान माथे पर, पसीना झलकता है........ कुछ ऐसी भी औरतें हैं, जिन्हें आराम नहीं मिलता है........ सुबह होती है इनकी, बिना आलाम के ही......... चूल्हे चौके से दिन की, शुरुआत इनकी होती है......... ना ही कोई सिंगार, ना ही मोतियों का हार......... बस मांग में सिंदूर और, माथे पर लाल टीका सजाती है......... निपटा के घर का, निकल पड़ती वो अपने काम......... पुरा दिन मेहनत मजदूरी कर के, अपने परिवार का पेट वो भरती है........ क्या है "what's up", क्या होता "Facebook"........ इन्हें तो बस अपने, बच्चें और परिवार की चिंता रहती है......... जिस घर हो ऐसी नारी, उस घर नारी की महानता नजर आती है........ नमन है मेरा ऐसी महिलाओं को, जो‌ खुद को आदमी से कम नहीं समझती है........ प्रभात........

महिला दिवस..... women's day Hindi poem

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मां बनकर जिसने हमें जन्म दिया...... दुध पिला के जिसने हमें बड़ा किया..... मां की ममता का कोई मोल नहीं..... मां के रुप में भी नारी महान बन गई..... बहन बनकर जिसने बांधी हमें राखी..... साथ रही वो बनकर हमारी साथी..... बहन‌-भाई जैसा पाक कोई रिश्ता नहीं..... बहन के रुप में भी नारी महान बन गई..... पत्नी बनकर जिसने बाबुल का घर छोड़ दिया..... साथ रहकर हमारे सुख दुख से नाता जोड़ लिया..... अपने तन मन प्यार जो हम पर लुटाती रही.... पत्नी के रुप में भी नारी महान बन गई..... कभी मां, कभी बहन, तो कभी पत्नी रुप लिया..... नारी ने हर रुप में अपनी महानता का सबूत दिया..... इस महिला दिवस पर समस्त नारी को नमन  प्रभात.......