मौसम की पहली बारिश का मज़ा ही कुछ और है...!! Hindi Monsoon poem
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मौसम की पहली बारिश का, मज़ा ही कुछ और है... बरसती हुईं इन बूंदों का, नशा ही कुछ और है... क्या बच्चे क्या बड़े, हर कोई झुमने लगता है... लगे आसमां से तो जैसे खुशियां ही बरसने लगती है... कहीं चलती है नाव कागज की, तो कहीं गीत सावन के बजते हैं... भीगते हुए बच्चों को देख, हम खुद को की कहां रोक पाते हैं... यह देख जब चिल्लाए जो श्रीमती, तब हम उन्हें भी भीगो दिया करते हैं... थोड़ी शरारत और मस्ती में, सभी मुस्कुरा दिया करते हैं... गर्म पकोड़े और चाय के साथ, फिर बड़े मज़े की दावत होती है... तभी तो.... मौसम की पहली बारिश का, मज़ा ही कुछ और है.... बरसती हुईं इन बूंदों का नशा ही कुछ और है.... प्रविन.........