पर फिर कभी तुझसे मेरी पहचान न हुई...!!! Hindi sad love poem

तुझे चाहने की चाहते कभी कम न हुई,
ये और बात है की तुझसे कभी बात ‌न हुई,

ख्वाहिश बहुत थी पत्थरों की वो मूरत बने‌,
पर मूरत बनाने वाले से उनकी मुलाकात न हुई,

हमेशा तुझसे वफ़ा ही करता एसा भी क्या,
पर चाह कर भी तुझसे कभी बेवफाई न हुई,

मैं तुझसे मिलने आ तो जाता मेरे यार,
पर मेरे इंतजार में तेरी आंखें कभी नम ही न हुई,

यूं तो सजावट के आईने मेरे घर में भी थे,
पर फिर कभी तुझसे मेरी पहचान न हुई,

प्रभात............

Comments

  1. निभाना साथ ये हमेशा
    रहे ना सफर ये अधूरा
    कसक रहे ना मन में कोई
    गिले शिकवे भी ना रहे बाकी
    कहने को तो साथ है ये पूरा
    लगे फिर भी ये मिलन अधूरा
    है दिल में एकदूजे के बसेरा
    एहसासो में ना हो जाए जीवन पूरा
    चंद लम्हो की है ये जिंदगी तो
    चलो मिला दे रूह को रूह से पूरा

    Bahot khubsurat poem . Prabhat

    Good morning ..drrrr
    Hv a enjoebl life always 😊
    GBU

    TMSR... 💞👫

    ReplyDelete

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