माँ क्यूँ बेटियां पराई होती है.......?? Hindi bidai poem
{{ बेटी की विदाई }} कल तक जो घर था मेरा अपना आज उसे छोडके क्यूँ जाना है....?? कैसी ये रित है खुदा की क्यूँ इतना बेदर्द ये जमाना है....?? माँ मैं किससे कहुं की मेरी हालत कैसी है.....?? जानती हुं मैं तू अंदर से कैसी है.... मेरा आँगन मेरे खिलौने आज मुझसे दूर है.... चाह कर भी पापा आज कितने मजबूर है..... रोकूँ कैसे मैं बहते आँसू को अपने..... सोचती थी जो आज सायद पुरे होंगे वो सपने.... माँ क्यूँ मेरा दिल अब घबरा रहा है..... ये बारात ये कँरवा मुझे कंहा ले जा रहा है.... क्यूँ बेटियाँ हि पराई होतीं है.....?? क्यूँ विदाई पे सारी माँयें रोती है.... दे जवाब तू माँ मेरी हर बात का.... अब तेरा मेरा साथ है सिर्फ ईश रात का.... कल तो मैं अपने ससुराल चली जाऊंगी..... रोऊँगी खुद भी और तेरे दिलको भी रुलाऊँगी.... माँ कुछ ना कहे पाती है... बस रोती अपनी लाडली को अपने सीने से लगाती है.... कहकर एसा की बेटी आज से तेरा वोही संसार है.... लबो पे आशीर्वाद और आँखों मे तेरे लिए प्यार है.... सास की ईज्जत करना क्योंकि बही अब तेरी माँ है..