दहेज में अपने ऐसा क्या दे दिया.....??? Hindi dahej pratha poem

अपने घर का, खिलौना दे दिया..... आंगन का, चमकता चांद दे दिया..... धन दे दिया, मन दे दिया, अपने कलेजे का टुकड़ा दे दिया..... जो था आजतक अपना, वो सबकुछ दे दिया..... घर रोशन था जिससे मेरा, वह घर का दिया भी दे दिया..... तब भी वो पुछते हैं मुझसे, दहेज में अपने ऐसा क्या दे दिया.....?? प्रभात...........