वृद्धाश्रम....!!! Hindi family poem
कभी फुर्सत मिले तो, उस घर भी जा आना...... जहां पढ़े-लिखे औलादों के, बुढ़े मां-बाप रहा करते हैं...... पलकों में दर्द के आंसू छुपाए, चेहरे से मुस्कुराया करते हैं..... लाख बुराईयां हो बेटे में, पर उनकी तारीफ ही किया करते हैं..... क़िस्से सुनाते हैं उनके बचपन के सब को , फिर हंसते हंसते अचानक रो दिया करते हैं..... बस इतना कहना है उन बेटों से..... जिन्हें बोझ समझ छोड़ आए थे वृद्धाश्रम, वह मां-बाप आज भी तुम्हें याद किया करते हैं....!!! रूला कर अपने मां-बाप को, खुश तुम भी ना रहे पाओगे... करोगे जैसा व्यवहार उनसे, कल वैसा ही अपनी औलाद से पाओगे......!! प्रभात...........