चलो अंधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं......!!! Hindi suvichar
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चलो हंसने की कोई, हम वजह ढूंढते हैं.... जिधर न हो कोई ग़म, वो जगह ढूंढते हैं... बहुत उड़ लिए, ऊंचे आसमान में यारों... चलो जमीन पर ही कहीं, हम सतह ढूंढते हैं... छूटा कितनों का साथ, जिंदगी की ज़ंग में... चलो उनके दिलों की, हम गिरह ढूंढते हैं... बहुत वक्त गुजारा हमने, भटकते हुए अंधेरों में.... चलो अंधेरी रात की हम सुबह ढूंढते हैं......!!! प्रभात.........