उसे कहीं तकलीफ न हो..........!!! Hindi love poem
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बड़े नाजुक हैं हाथ मेरे महबूब के, ए हवा जरा आहिस्ता चल, कहीं उसे तकलीफ न हो..........!! <<●>><<●>><<●>><<●>><<●>><<●>> मेरे ख्यालों में गुमशुदा सी वो बैठी है कब से, उसके आँचल को तू न लहरा, कहीं उसे तकलीफ न हो.........!!.<<●>><<●>><<●>><<●>><<●>><<●>> बड़े दिनों बाद उसने खुद को सँवारा है, ए मचलती हवा न उड़ा तू धूल उसपे, कहीं उसे तकलीफ न हो..........!! <<●>><<●>><<●>><<●>><<●>><<●>> उसके पाँवों को चूमता है उजला चाँद पूनम का, सूखे पत्ते को तू जमी पर न बिखरा, कहीं उसे तकलीफ न हो..........!! <<●>><<●>><<●>><<●>><<●>><<●>> अपने हाथों में थाम के बैठी है वो ख़त मेरा, मचल कर तू शोर न मचा, कहीं उसे तकलीफ न हो..........!! <<●>><<●>><<●>...