माँ अपना फ़र्ज़ न भूली, मैं कैसे अपना फ़र्ज़ भूल गया.....!!! Hindi mother poem
माँ अपना फ़र्ज़ न भूली, मैं कैसे अपना फ़र्ज़ भूल गया..... जिस माँ ने दुध पिलाया मुझे, अपनी छाती निचोड़कर, मैं ”निकम्मा, उन्हें कभी, एक ग्लास पानी भी पिला न सका । उनके बुढापेे का मैं “सहारा,, हूँ ” ये अहसास” दिला न सका अपने पेट पर सुलाने वाली को, ”मखमल, पर सुला न सका । बस एकबार मांगकर, वो “भूखी, सो गई “बहू, के “डर, से मैं “सुकुन,, के “दो, निवाले भी, उसे खिला न सका । नजरें उन “बुढी, “आंखों से, कभी मिला न सका । वो “दर्द, सहती रही, में खटिया पर तिलमिला न सका । जो “जीवनभर” मुझे, “ममता, के रंग पहनाती रही, उसे “दिवाली पर, दो “जोड़ी, कपडे भी दिला न सका । ”बिमारी मे बिस्तर से उसे, “शिफा, दिला न सका । ”खर्च के डर से उसे बड़े, अस्पताल, मे ले जा न सका । बेटा कहकर “दम,तौडने बाद उस ”माँ” के बारे में अब तक सोच रहा हूँ, ”दवाई, इतनी भी “महंगी,, न थी के मैं उनके लिए ला ना सका । अपने अंतिम समय में भी, वह मेरे लिए ही दुआ मांगती रही, खुश रहना मेरे बेटे, जाते जाते मुझसे माँ कहती गई.......!!! ◾◾◾◽◽◽◾◾◾◽◽◽◾◾◾◽◽◽◾◾◾