सच में औरतें बेहद अजीब होती है..... Hindi woman's poem
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सच में औरतें बेहद अजीब होती है..... छोड़ कर अपना घर आंगन, नये घर को वो अपनाती..... रिश्ते नाते सारे पीछे छोड़, नये रिश्तों में वो ढल जाती..... भूल कर अपना अस्तित्व, नये नाम से वो जुड़ जाती..... बहु, पत्नी, और मां बन कर, सरे रिश्ते वो खूब निभाती..... सुख मिले या दु:ख मिले, सब हंसते हंसते अपनाती..... खुद की ख्वाहिशें भूल के, सब के अरमान वो पूरा करती.... जन्म तो लेती है वो मायके में, पर अर्थी पे ससुराल से निकलती..... सच में औरतें बेहद अजीब होती है.....!!! प्रभात.........