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रूठों बेशक अपनों से.......!!! Hindi suvichar

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रूठों बेशक अपनों से, पर मनाने पर मान जाओ.... अपने तो आखिर अपने है, ये बात तुम मत भूल जाओ.... होती है गलती...  आखिर गलती से ही... जिसने गलती कभी न की, ऐसा एक इंसान लाओ.... टूटने पर पता चलती है, अहमियत उस ‌रिश्ते की.... वक्त रहते ही, उन रिश्तों को पहचान जाओ.... बजती है ताली दो हाथों से, ये दुनिया का उसूल है.... दिल से निभाओ हर रिश्ते को सम्मान.....दो और सम्मान....पाओ...... प्रभात..........

ऐसा दिपावली का त्योहार होगा.....!!! Hindi Diwali poem

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आज दियों से रौशन ये जहांन होगा...! खुशियों से रंगा पूरा आसमान होगा...! देखेंगे फलक से चांद सितारें जमी पर, आज खशी में झूमता हर इंसान होगा...! महकेगा घर-आंगन फूलों की महक से, दिपक से जगमगाता हर द्वार होगा...! न आॅफिस की चिंता न स्कूल की फ़िक्र, आज हर घर में जश्र का माहोल होगा...! बनाएंगी मां सारे पकवान और मिठाइयां, सबकी पसंद का व्यंजनों में स्वाद होगा...! पहन के नए कपड़े खिलेंगे सब के चेहरें, मिलकर गले सबसे मुबारकबाद होगा...! मिलने जाएंगे सभी अपने अपनों के घर, हर रिश्तों में और भी गहरा प्यार होगा...! यादगार बन जाएंगे दिपावली के ये दिन, पूरे हिन्दुस्तान में ऐसा आज का त्योहार होगा....!!! प्रभात..........

गरीबों की दिवाली.....!!! Hindi Diwali poem

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मिट्टी के दीयों से साहब दिवाली मनाओ, अपनी संस्कृति को आप मत भूल जाओ... पलते हैं कई परिवार इन्हीं त्योहारों से, थोड़ा गौर आप इधर भी तो फरमाओ... माना पसंद आती है आपको विदेशी चीजें, पर जिस देश में रहते हो उसे ना भूल जाओ... बड़ी मेहनत से बनाते हैं ये सारी चीजें, कभी ईन्हें भी खरीदकर अपने घर ले जाओ... खुशियां इन त्योहारों की थोड़ी उन्हें भी मिल जाए, उनके भी घर को आप रोशन कर जाओ... ======================= दोस्तों हमारे देश के सभी त्योहारों से  कितने ही परिवार पलते हैं मेहनत कर के वह बनाते हैं जो चीजें उन्हें हम ख़रीद कर त्योहार मनाए ताकि हमारे देश का पैसा हमारे देश में रहे विदेशो में ना जाए  शुभ दीपावली  प्रभात..........

दियों से रोशन होती दिवाली......!!! Hindi Diwali poem

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दियों से रोशन होती दिवाली..... खुशियों का पर्व कहलाती दिवाली..... रिश्तों में प्रेम की मिठास लिए, अपनों को करीब ले आती दिवाली..... घर आंगन सजने लगते हैं... दरों दीवार भी रंगने लगती है... छोटी छोटी लडीयों से, रात जगमगाने लगती है... रंगो की रंगोली से, हर आंगन की सोभा बढ़ती है... सभी के चेहरों पर देखो, दिवाली की खुशी खूब झलकती है... नए कपड़े और मिठाई की, दुकानों में भीड़ लगती है.... धनतेरस के दिन पर, मां लक्ष्मी की पूजा होती है.... काली चौदस की रात, घर का क्लेस भी मिटाती है... मिट्टी के दीए जलने से, अमावस्या की रात पुनम हो जाती है... नए साल के आगमन पर, एक दुसरे से लोग मिलते हैं.... गले लगकर सभी को, दिवाली और नए साल की शुभकामनाएं देते हैं... यह त्योहार है प्रेम प्रतिक का, बुराई पर अच्छाई की जीत का... इसे दूषित न करना पटाखों से... उस घर को भी रोशन करना, जहां अंधेरा हो गरीबी का... दिपावली और नए साल की, मेरे सभी दोस्तों को ढेरों शुभकामनाएं....!! प्रभात........

डर लगता है तुझे खोने से......!!! ( Dar lagta hai tujhe khone se..!!)Hindi love poem

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डर लगता है तुझे खोने से, तुझसे दूर होने से....! सांसें मेरी चलती है, एक तेरे पास होने से....! तू सौगात है मेरी मुरादों की, तुझे नेमतों से पाया है....! आंखें मेरी रो पड़ती है, ख़्याल जुदाई का आने से....! न मांगा कभी अपने लिए, रब से कुछ दुआओं में....! हर खुशी मुझे मिल जाती, एक तेरे मुस्काने से.....! उम्र बित जाए सारी, तुझे ही प्यार करने में.....! हसरतें मेरी पूरी हुई, तेरे जिंदगी में आने से....! कभी रुसवा न होना तू मुझसे, यही तुझसे मैं कहता हूं.....! साथ तेरा पाया है मैंने, खुदा की रहमत पाने से....!!! प्रविन..........✍ Dar lagta hai tujhe khone se, Tujhse door hone se...........! Sanse Meri chalti Hai, Ek Tere pass hone se..........! Tu saugat Hai Meri muradon ki, Tujhe nematon se paya Hai............! Aankhen Meri ro padhati Hai, khyal judaai ka aane se...........! Na manga kabhi apne liye, Rab se kuchh duaon mein..........! Har Khushi mujhe mil jaati Hai, Ek Tere muskurane se..........! Umar beet jaaye yah sari, Tujhe Pyar Karne mei...

यह कैसा आज का युग है........??? Hindi suvichar

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यह कैसा आज का युग है..... बड़े हो गए हैं घर, पर घर में परिवार नहीं..... बड़े बुजुर्गो का, अब कोई लिहाज नहीं..... पढ़ाई भी ज्यादा हो गई, पर लोगों में तमीज़ नहीं..... महंगी हो गई दवाईयां, पर अच्छी सेहत नहीं..... आदमी ज्यादा हो गए, पर किसी को सुकून नहीं..... बौद्धिकता का स्तर ऊंचा हो गया, पर दिलों में कोई भावना नहीं..... जहां ज्ञान अच्छा मिलता,  वहां जाना किसी को पसंद नहीं..... प्रेम संबंध तो बहुत है, पर कंही सच्चा प्यार नहीं..... चांद तक पहोंच गए, पर पडौसी के बारे में कुछ पता नहीं..... फेसबुक पर दोस्त बहुत है, पर कोई सच्चा दोस्त नहीं..... शराब ज्यादा हो गई, दुनिया में प्रर्याप्त पानी नहीं..... इंसान तो बहुत है, पर कंही इंसानियत नहीं..... किमती हाथों में है घड़ियां, पर किसी पास समय नहीं..... रिश्ते तो बस नाम के हैं, उन रिश्तों में प्रेम नहीं..... प्रभात........

खुश हूं उसे पाकर......!!! Hindi love poem

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रातों को जगाया उसके ही ख्वाबों ने, सुबह हुई उसके ही खयालों से........  तसवीर सजाऐ आँखों में उसकी, मुस्कुराती रहती मै  बार बार........  होटों पर नाम उसका ही रहता, गीत सुनाती बहारों को हरबार उसका ..... बागों की कलियाँ खिल सी जाती, मोर पपीहा कोयल भी मधुर राग सुनाते.....  ईतना खूबसूरत है प्यार मेरा..... देखकर उसको दुनिया जल जल जाती.........  खुश हूं उसे पाकर जिसका कोई मोल न कर पाती...... प्रतिभा........... तेरा मेरा साथ रहे 👫💞