बिते कल का फ़साना......!!! Hindi bachpan poem
गुज़रे दौर का, वो गुजरा जमाना......
याद आता है, बिते कल का फ़साना......
याद आता है, बिते कल का फ़साना......
जहां इंसान भी थे, और इंसानियत भी,
दिलों में रहता था, बस प्यार का तराना......
दिलों में रहता था, बस प्यार का तराना......
ख्वाहिशे कम थी, और ना जरूरतें ज्यादा,
जितना मिले उतने में, खुश रहता घराना......
जितना मिले उतने में, खुश रहता घराना......
पापा की डांट और, मम्मी के प्यार से,
बचपन भी बिता, अनुसासन में हमारा.....
बचपन भी बिता, अनुसासन में हमारा.....
सामने मिल जाते जब कोई बड़े बुजुर्ग,
आदर से सर हमारे वहीं झुक जाता.....
आदर से सर हमारे वहीं झुक जाता.....
घुमने निकलते थे जब हम पापा के संग,
याद आता है सायकिल की घंटी बजाना.....
याद आता है सायकिल की घंटी बजाना.....
बड़ी सादगी में ही बिता बचपन जो सारा,
आज भी याद आता है वो गुजरा जमाना.....!!!
आज भी याद आता है वो गुजरा जमाना.....!!!
प्रविन...........✍
Gujre daor ka, vo gujra jamana.....
Yaad aata hai, bite Kal ka fasana.....
Yaad aata hai, bite Kal ka fasana.....
Janha insan bhi the aur insaniyat bhi,
Dilo me rahta that, bas Pyar ka tarana.....
Dilo me rahta that, bas Pyar ka tarana.....
Khwahishe Kam thi aur na jarurate jyada,
Jitna mile utne me, Khush rahta gharana.....
Jitna mile utne me, Khush rahta gharana.....
Papa ki daant aur mummy ke pyar se,
Bachpan bhi bita, aunsasan me humara.....
Bachpan bhi bita, aunsasan me humara.....
Samne mil jate jab koi bade bujurg,
Aadar se sar humare vanhi jhuk jata.....
Aadar se sar humare vanhi jhuk jata.....
Ghumne nikalte jab hum papa ke sang,
Yaad aata hai sayakil ki ghanti bajana.....
Yaad aata hai sayakil ki ghanti bajana.....
Badi sadgi me hi bita bachpan Sara,
Aaj bhi yaad aata hai vo gujra jamana.....!!
Aaj bhi yaad aata hai vo gujra jamana.....!!
Pravin..........✍
Comments
Post a Comment