मैं अपनी असलियत आईने में देखा लेता हुं......!!! Hindi suvichar
जब भी तारीफ करती है,
ये दुनिया मेरी...!
मैं घर जाकर आईने में,
अपनी "असलियत" देख लेता हुं...!!
मेरी आवाज़ कभी,
उनकी "आवाज़" से ऊंची नहीं होती...!
मैं अपने "पिता" की आंखों में,
अपना बचपन जो देख लेता हुं....!!
अपनी "तन्हाई" पर,
जब तरस आने लगता है मुझे...!
मैं खिड़की खोल के,
उस "चांद" को देख लेता हुं....!!
बहुत बेचैन हो जाता है,
जब कभी "मन" मेरा....!
मैं घर जा कर,
अपनी "मां" का चेहरा देख लेता हुं...!!
इस जहां से "मोहब्बत" जब,
बहुत ज्यादा होने लगती है....!
मैं सड़क पर पड़े हुए,
किसी परिंदे का "घोंसला" देख लेता हुं...!!
नहीं चढ़ता मुझ पर
कभी "दौलत" का खु़मार...!
अक्सर रास्ते से गुजरते,
जब किसी "जनाजे" को देख लेता हुं...!!
प्रभात...........
Wow sooo superb poem
ReplyDeleteMst he
Good morning drrrrr
Hv a enjoebl day drrr.. P
Keep smiling always
🌹👌💖💞👫😘