वो इंसान आज ना जाने कहां खो गये हैं.....!!! Hindi suvichar

जाने क्यूं अब शर्म से चेहरा गुलाब नहीं होता
जाने क्यूं अब मस्त मौला मिजाज नहीं होता

पहले बता दिया करते थे दिल की सारी बात 
जाने क्यूं अब चेहरा खुली किताब नहीं होता

सुना है बिन कहे ही दिल की बात समझ लेते थे
गले लगते ही दोस्त दिल के हालात समझ लेते थे

तब ना फेसबुक ना स्मार्ट फोन ना ट्वीटर पर था एकाउंट 
बस एक चिट्ठी से ही दिल के जज़्बात समझ लेते थे

सोचता हूं आज हम ‌कहां से कहां आ गए
व्यवहारिकता को सोचते सोचते भावनाओं को खा गए

अब भाई भाई से समस्या का समाधान कहां पुछता है
अब बेटा बाप से उलझनों का निदान कहां पुछता है

अब बेटी नहीं पुछती मां से गृहस्थी के सलीके
अब कौन गुरु से ज्ञान की परिभाषा सिखता है

परियों की बातें अब किसे भाती है 
अपनों की याद अब किसे रुलाती है

अब कौन‌ गरीब को अपना सखा बताता है
अब कहां कृष्ण सुदामा को गले लगाता है

जिंदगी में अब हम केवल व्यवहारिक हो गये है
वो इंसान आज ना जाने कहां खो गये है 
हम सब तो केवल एक मशीन बन गये हैं

प्रभात...........

Comments

  1. अब कौन‌ गरीब को अपना सखा बताता है
    अब कहां कृष्ण सुदामा को गले लगाता है...बहुत सुन्दर
    सादर

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  2. बहुत खूबसूरत रचना है
    वक़्त वक़्त की बात है
    कोई राजा भोज है
    गंगु तेली है कोई
    रह जाएगा सब यहां
    काहे दुनिया रोए

    शुभ संध्या प्रिय प्रभात
    मुस्कुराहट लबों पे बनी रहे
    👌😊🌹🍫💕☕👫

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