मैं अपने वतन की खातिर, अपना घर-बार छोड़ आया हूँ.....!! Hindi Desh bhakti poem
एक सैनिक मन की बात....
किसी गजरे की खुशबु को,
महकता छोड़ आया हूँ,
मेरी नन्ही सी चिड़िया को,
चहकता छोड़ आया हूँ,
जिसने कांधे पर मुझे बिठाया,
उस पिता को भी छोड़ आया हूँ,
मुझे छाती से अपनी तू,
लगा लेना ऐ भारत माँ,
मैं अपनी माँ की बाहों को,
तरसता छोड़ आया हूँ,
मैं अपने वतन की खातिर,
अपना घर-बार छोड़ आया हूँ,
वंदे मातरम् 🙏
जय मां भारती 🙏
प्रभात..........
किसी गजरे की खुशबु को,
महकता छोड़ आया हूँ,
मेरी नन्ही सी चिड़िया को,
चहकता छोड़ आया हूँ,
जिसने कांधे पर मुझे बिठाया,
उस पिता को भी छोड़ आया हूँ,
मुझे छाती से अपनी तू,
लगा लेना ऐ भारत माँ,
मैं अपनी माँ की बाहों को,
तरसता छोड़ आया हूँ,
मैं अपने वतन की खातिर,
अपना घर-बार छोड़ आया हूँ,
वंदे मातरम् 🙏
जय मां भारती 🙏
प्रभात..........
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