लहरा के आंचल जब वो निकली घर से...... Hindi love poem

लहरा के आंचल जब वो निकली घर से,
देख बेतहाशा ये दिल मचल ने लगा......!

उड़ने लगे मेरी चाहत के परिंदे,
उसे पाने को अब हम तरसने लगे.......!

देखते ही रह गए कुदरत की कारीगरी,
नूर-ए-हुस्न की ऐसी कहीं मिसाल ना मिली......!

रंग रूप ऐसा की अ़ब-ए-आईना भी शर्माए,
गुलशन के गुल भी उसे देख जलने लगे.......!

बहती हबा भी जैसे उसकी दीवानी हुईं,
उसे छु कर करीब से वो भी गुजर ने लगी.......!

निगाहों में जैसे उस का ही नशा छा गया,
धड़कनें भी अपनी हसरत सुनाने लगी.......!

कैसे जोडूं उसके दिल को दिल से यारों,
अब तो नेमतों में भी हम उसे मांगने लगे.......!


प्रभात.........
तेरा मेरा साथ रहे 👫

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