जिंदगी का यही फ़साना......!!! Hindi suvichar

रिश्तों की सन्दूक जो खाली निकलेगी....
तो घर-आंगन में सिर्फ उदासी निकलेगी..... 

मिट्टी का है तन मिट्टी में मिल जाएगा.....
तन से जब ये रूह‌ हवा सी निकलेगी.....

मजहब का चश्मा हटाकर देखो तो.....
ईद की रिश्तेदार दिवाली निकलेगी.....

भूखा बच्चा तक रहा है चांद ‌को.....
कहता है वो गोल चपाती निकलेगी.....

सफे कभी जब पलटोगे तुम माजी के.....
खूशबू वाली एक कहानी निकलेगी.....

कभी झांक के देखना तुम मेरे दिल में.....
इसमें दोस्तों तस्वीर तुम्हारी निकलेगी.....

ज्योत दिये की बुझी नहीं ‌जो तुफां में.....
सजदे करती उसको आंधी निकलेगी.....

क्या करना है जोड़ के धन-दौलत यारों.....
अर्थी पर जब ये मुट्ठी खाली निकलेगी.....

प्रभात..........

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

डर लगता है तुझे खोने से......!!! ( Dar lagta hai tujhe khone se..!!)Hindi love poem

"माँ" के लिए मैं क्या लिखूं....? माँ ने तो खुद मुझे लिखा है.....Hindi suvichar

महिला दिवस..... women's day Hindi poem