आखिर सच तो यही है.......!!! Hindi suvichar

कहीं ना कहीं कर्मों का डर है !
नहीं तो गंगा पर इतनी भीड़ क्यों है?

जो कर्म को  समझता है उसे
धर्म को समझने की जरुरत ही नहीं

पाप शरीर नहीं करता विचार करते है

और गंगा विचारों को नहीं !
सिर्फ शरीर को धोती है |

शब्दों का महत्व  तो !
बोलने के भाव से पता चलता है ,

वरना "वेलकम" तो
पायदान पर भी लिखा होता है"।

प्रभात..........

Comments

Popular posts from this blog

"माँ" के लिए मैं क्या लिखूं....? माँ ने तो खुद मुझे लिखा है.....Hindi suvichar

डर लगता है तुझे खोने से......!!! ( Dar lagta hai tujhe khone se..!!)Hindi love poem

चढाऊँ क्या तुझे भगवन.....?? प्रार्थना सुबह की....