माँ तू अगर न होती.....!!! Hindi mother's day poem
मेरी प्यारी माँ
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती,
मै कुछ भी तो ना होता,
जो तू न होती।
तू हाथ देके मुझको जो न चलना सिखाती,
जीवन के हर सुख दुख को जो तू न बताती।
मेरा अस्तित्व न होता,
न ये साँस होती,
जीवन में न ये मेरे दिन रात होती।
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती।
कैसे बताऊँ माँ कितना प्यार है तुमसे,
चाहता हूँ बस हमेशा यूँही दूलार तुमसे।
तुम जो यूँ रुठ जाती हो माँ,
बच्चे के बात को दिल से लगाती हो माँ,
सच कहता हूँ दिल बहुत रोता है,
अपने व्यवहार पे क्रोध भी आता।
मेरे लिए न तू हरदम यूँ रोती,
काश तू कभी खफा न होती।
मेरी जिन्दगी न होती,
मँ तू अगर न होती।
दिल में ना कोई बात होती,
जीवन में जब बस रात होती,
जंगली से मै न आदमी बनता,
जो तेरी ये सौगात न होती।
अकेला मैं इस जग में क्या कर पाता,
जो माँ तू मेरे साथ न होती।
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती।
याद है मुझको वो पल माँ,
जब राह में ठोकर खाई थी,
तुने दौड़ के आ कर मुझे,
अपने गले से लगाया था।
तुझे चोट तो नहीं आई है न,
इस बात पर माँ तुमने
अपनी कसम मुझको खिलाई थी
मेरी जिन्दगी में ना ये हँसी कारवाँ होता,
न कोई ऐसी बात होती।
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती।
बचपन में जब चाँद को देख,
मैं डर जाया करता था माँ
चाँद को चँदा मामा तू बताती,
गोद में ले कर मुझे लोरी तू सुनाती थी माँ।
ये जिन्दगी तो है एक मेला माँ,
तू है तो कहां मैं अकेला माँ?
मेरी जिन्दगी जन्नत सी ना होती,
जो तू मेरी मन्नत न होती।
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती।
हर बार जो मै जन्म लूँ,
तेरी गोद में ही मै खेलूँ,
हर बार तू मेरी माँ बने,
दिल यही अब ये कहने लगा।
हर दम तेरा आशीर्वाद मिले,
खुशियों का हर एक फूल खिले,
गम का काफिला पल में टले।
हर खुशी मेरी अधूरी होती,
तेरी ममता का जो साया न होता।
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती।
Miss you maa
प्रभात.........
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती,
मै कुछ भी तो ना होता,
जो तू न होती।
तू हाथ देके मुझको जो न चलना सिखाती,
जीवन के हर सुख दुख को जो तू न बताती।
मेरा अस्तित्व न होता,
न ये साँस होती,
जीवन में न ये मेरे दिन रात होती।
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती।
कैसे बताऊँ माँ कितना प्यार है तुमसे,
चाहता हूँ बस हमेशा यूँही दूलार तुमसे।
तुम जो यूँ रुठ जाती हो माँ,
बच्चे के बात को दिल से लगाती हो माँ,
सच कहता हूँ दिल बहुत रोता है,
अपने व्यवहार पे क्रोध भी आता।
मेरे लिए न तू हरदम यूँ रोती,
काश तू कभी खफा न होती।
मेरी जिन्दगी न होती,
मँ तू अगर न होती।
दिल में ना कोई बात होती,
जीवन में जब बस रात होती,
जंगली से मै न आदमी बनता,
जो तेरी ये सौगात न होती।
अकेला मैं इस जग में क्या कर पाता,
जो माँ तू मेरे साथ न होती।
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती।
याद है मुझको वो पल माँ,
जब राह में ठोकर खाई थी,
तुने दौड़ के आ कर मुझे,
अपने गले से लगाया था।
तुझे चोट तो नहीं आई है न,
इस बात पर माँ तुमने
अपनी कसम मुझको खिलाई थी
मेरी जिन्दगी में ना ये हँसी कारवाँ होता,
न कोई ऐसी बात होती।
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती।
बचपन में जब चाँद को देख,
मैं डर जाया करता था माँ
चाँद को चँदा मामा तू बताती,
गोद में ले कर मुझे लोरी तू सुनाती थी माँ।
ये जिन्दगी तो है एक मेला माँ,
तू है तो कहां मैं अकेला माँ?
मेरी जिन्दगी जन्नत सी ना होती,
जो तू मेरी मन्नत न होती।
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती।
हर बार जो मै जन्म लूँ,
तेरी गोद में ही मै खेलूँ,
हर बार तू मेरी माँ बने,
दिल यही अब ये कहने लगा।
हर दम तेरा आशीर्वाद मिले,
खुशियों का हर एक फूल खिले,
गम का काफिला पल में टले।
हर खुशी मेरी अधूरी होती,
तेरी ममता का जो साया न होता।
मेरी जिन्दगी न होती,
माँ तू अगर न होती।
Miss you maa
प्रभात.........
ReplyDeleteI miss u maa....
वो ममता का आंचल,
वो बचपन की यादें......!
बहुत आद आती है,
वो बिते दिनों की बातें.......!
कभी होती थी सुबह,
मां की प्यारी पुकार से.......!
Bahot khubsurat ahsas maa ka
Nice poem prabhat drrr.. 👌
Good morning
Hv a smillly day... 😊😘💞🍫