मुझे वो अच्छी लगी.....!!! Hindi love poem
मुझे वो अच्छी लगी....☺💘*
उसके होंठों पर रही जो,
वो हँसी मुझे अच्छी लगी.....
उससे जब नज़रें मिलीं थीं,
वो घड़ी मुझे अच्छी लगी......
उसने जब हँसते हुए मुझसे कहा,
तुम बस मेरे हो.......
दिन गुलाबी हो गए ,
तब ये ज़िन्दगी मुझे अच्छी लगी......
पूछते हैं लोग मुझसे ,
उसमें ऐसा क्या है ख़ास........
सच बताऊँ मुझको उसकी,
सादगी बड़ी अच्छी लगी.......
कपकपाती उँगलियों से,
जो ख़त मुझे उसने लिखा......
जैसी भी थी वो लिखावट,
वो मुझे बड़ी अच्छी लगी.......
प्रविन........✍
मेरा साथ रहे 👫💞
उसके होंठों पर रही जो,
वो हँसी मुझे अच्छी लगी.....
उससे जब नज़रें मिलीं थीं,
वो घड़ी मुझे अच्छी लगी......
उसने जब हँसते हुए मुझसे कहा,
तुम बस मेरे हो.......
दिन गुलाबी हो गए ,
तब ये ज़िन्दगी मुझे अच्छी लगी......
पूछते हैं लोग मुझसे ,
उसमें ऐसा क्या है ख़ास........
सच बताऊँ मुझको उसकी,
सादगी बड़ी अच्छी लगी.......
कपकपाती उँगलियों से,
जो ख़त मुझे उसने लिखा......
जैसी भी थी वो लिखावट,
वो मुझे बड़ी अच्छी लगी.......
प्रविन........✍
मेरा साथ रहे 👫💞
Mujhe vo acchi lagi....😍💞
Uske hontho par rahi Jo,
Vo hansi mujhe acchi lagi.....
Vo hansi mujhe acchi lagi.....
Usse jab nazre mili thi,
Vo ghadi mujhe acchi lagi.....
Vo ghadi mujhe acchi lagi.....
Usne jab mujhe hanste huye kaha,
Tum bas mere ho,
Tum bas mere ho,
Din gulabi ho Gaya,
Tab ye Jindagi mujhe acchi lagi.....
Tab ye Jindagi mujhe acchi lagi.....
Puchhte Hain log mujhse,
Usme aisa Kya hai khas...?
Usme aisa Kya hai khas...?
Sach bataun mujhko uski,
sadgi Badi acchi lagi......
sadgi Badi acchi lagi......
Kapkapati ungliyon se,
Jo khat mujhe usne likha,
Jo khat mujhe usne likha,
Jaisi bhi thi likhavat,
Vo mujhe badi acchi lagi.....
Vo mujhe badi acchi lagi.....
Pravin...........✍
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