काफिर न हिन्दू न मुसलमान होता है.....!!! Hindi Human being poem


Kafir na Hindu,
na Musalman Hota Hai,

Jo insaaniyat Ko Na Samjhe,
vah kahan Insan Hota Hai,

Baat Karte Hain Jo,
Dharm aur Jihad ki,

Gunman na Geeta,
na Kuran ka gyan Hota Hai,

Ishwar aur Allah ne to,
Na fark Kiya Insano  Main,

 Jo Insan ko Insan se Judaa Kahen,
Use Jaisa Na Koi Shaitan Hota Hai,

Dharm ke naam per Jo,
karte hain Katla mazloomo ka,

 Kabhi Khud ka bhi Khoon Baha kar Dekho,
 Uska Bhi Rang Lal Hota Hai,

Kehta Hai Jo Hindu Se Ki,
Hindu Khatre Mein Hai,

 Kehta Hai Jo Musalman se ki,
 Islam Khatre Mein Hai,

In Jaise Logon se to,
Har Insan Khatre Mein Hota Hai,

 Kokh Mein rahata Hai Jab tak Insan,
Uska Na Koi Dharm Na Koi Jaat Hota Hai,

Bas duniya mein aate hi,
Insan hi kahta hai ki,
Ye Hindu ye muslman hota hai......!!!

Pravin.......✍️


काफिर न हिन्दू न मुसलमान होता है.....!
जो इंसानियत को न समझे,
वो कहां इंसान होता है.....!

बात करते हैं जो धर्म और जिहाद की,
उनमें न गीता न कुरान का ज्ञान होता है.....!

ईश्वर और अल्लाह ने तो न फर्क किया इंसानों में,
जो इंसान को इंसान से जुदा कहे,
उस जैसा न कोई शैतान होता है.....!

धर्म के नाम पर जो करते है कत्ल मजलूमों का,
कभी खुद का भी खून बहाकर देखो,
उस खून का रंग भी लाल होता है.....!

कहते है जो हिन्दू से की हिन्दू खतरे में है,
कहते है जो मुसलमान से की इसलाम खतरे में है,
इन जैसे लोगों से तो हर इंसान को खतरा होता है.....!

कोख में रहता जब तक इंसान,
उसका न कोई धर्म न कोई जात होता है.....!

बस दुनिया में आते ही,
इंसान ही कहता है ये हिन्दू ये मुसलमान होता है....!!

क्या कहोगे इस मां को यारों,
जिसने अपने बेटे को कृष्ण बनाया..!

खुद तो है मुसलमान,
पर बेटे को भगवान् का चोला पहनाया....!

औलाद की खुशी के लिए,
मां ने धर्म जात को भी भुलाया....!

अपने बेटे की मुस्कान में मां को,
अपना खुदा ही नजर आया....!!
Kya kahoge is maa ko yaron,
Jisne apne bete ko  Krishna Banaya,

Khud To Hai Musalman,
per bete ko Bhagwan ka Chola pahnaya,

 Aulad Ki Khushi Ki liye,
 Maa ne Dharm Jaat ko bhi Bhulaya,

 Apne bete ki Muskan Mein Man Ko,
 Apna Khuda hi Najar Aaya.....!!


दोस्तों मेरा उद्देश्य किसी भी धर्म या जाति को
कोई ठेस पहोंचाना नहीं है

बस कहना यही है की सबसे पहले
हम एक इंसान हैं
जिसमें सोचने समझने की शक्ति
दया करूणा की भावना होती है

आज हमें खुद को ही समझना है
क्या सही क्या ग़लत है
यह हमें ही परखना है

उन लोगों को सबक दो
जो इंसान को धर्म और जाति के नाम पर गुमराह करते हैं

जिस देश में रहते हैं हम
उस देश का सम्मान करें
देश की उन्नति और विकास का हम काम करें
मिलजुल कर रहें ऐसे की
हमारा देश भी एक परिवार बनें

वंदे मातरम् 🙏

देश की एकता ही देश का विकास है

प्रभात..........

Comments

  1. हमे आप पे गर्व है कि आप ईतना अच्छा सोचते है
    काश सबकी सोच आप की तरहा हो,

    प्रभात की सभी कविता कुछ संदेश दे जाती है
    ईसलीए मैं सभी मित्रों से कहुगी की
    ईनकी रचनाओ को सराहे .....

    So Suprb Prabhat
    I selut u always

    Vandematram... 👌👍😘🌷

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया प्रतिभा

      न धर्म न जात की बात करता हूं
      न गर्व न शर्म मन में रखता हूं
      मुझे जो सही लगता है
      मैं तो बस बही लिखता हूं
      मैं एक इंसान हूं
      अपने इंसान होने का फ़र्ज़
      कुछ इस तयत अदा करता हूं

      बस लोगों के दिलों को
      मेरी लिखी बातें छु जाए
      कोशिश यही है की
      हर इंसान को सही ग़लत का
      फर्क समझ आ जाए

      ,👉😊🌹🙏

      Delete

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