तारो का आँचल ओढ़े रात सज रही है.....!! Hindi good night poem
तारो का आँचल ओढ़े रात सज रही है.....!!
नीलगगन की छाओं में शाम ढल रही है
तारो का आँचल ओढ़े रात सज रही है !!
✨🌙💗🌙✨
होने जा रहा आसमा का धरती से मिलन
शरमा के संध्या सागर में मिल रही है !!
✨🌙💗🌙✨
रात के अँधेरे अब किनारे ढूंढने लगे है
मध्यम मध्यम दीपो को लौ जल रही है !!
✨🌙💗🌙✨
आलम जाने कैसा होगा आज की रात का
हर तरफ उजाले की चहलकदमी बढ़ रही है !!
✨🌙💗🌙✨
जैसे शर्म से नजरे चुराकर सूरज चला है
अब चाँद की चांदनी जमी पे ढल रही है !!
✨🌙💗🌙✨
प्रभात..........
नीलगगन की छाओं में शाम ढल रही है
तारो का आँचल ओढ़े रात सज रही है !!
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होने जा रहा आसमा का धरती से मिलन
शरमा के संध्या सागर में मिल रही है !!
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रात के अँधेरे अब किनारे ढूंढने लगे है
मध्यम मध्यम दीपो को लौ जल रही है !!
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आलम जाने कैसा होगा आज की रात का
हर तरफ उजाले की चहलकदमी बढ़ रही है !!
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जैसे शर्म से नजरे चुराकर सूरज चला है
अब चाँद की चांदनी जमी पे ढल रही है !!
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प्रभात..........
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