मां का यही अरमान है.....!!! Hindi family poem

गुज़र गया वो जमाना,
जब सास बहू को सताया करती थी.....

आज के दौर में तो,
बहू ही सास को रूलाया करती है.....

ना जाने कैसी बहू आएगी,
इसी चिंता में हर सास रहा करती है.....

जुदा ना कर दे कंही बेटे को,
इस बात से आज हर मां डरती है.....

*****

नव महिने जिसे कोख में पाला,
भूख लगी तो छाती से लगाया.....

ख़ुद को भुल कर जिसे संभाला,
रात भर जाग कर जिसे सुलाया,

उस पल खुशी से रो पड़ी थी मां,
जब बेटे ने मां कह कर बुलाया,

अपनी ख्वाहिशों को त्याग कर,
बेटे के हर सपनों को सजाया,

लायक़ बना कर बेटे को अपने,
मां ने अपना फ़र्ज़ खूब निभाया,

बस अरमान यही अब मां का बेटे....

एक सुंदर, सुशील, गुणवान बहू,
अब तू इस घर में भी लादे....

सास ससुर को जो मां बाप माने,
इस घर को जो प्यार से संभाले.....

बेटी की तरह रखूंगी उसको,
हर अधिकार उसे मैं दूंगी....

पोते पोतियों के अंदर मैं,
तेरा बिता बचपन देखूंगी....

बस सपना यही है मेरा की,
एसा हंसता खेलता हमारा परिवार हो.....

मेरी गोद में तू इस दुनिया में आया,
तेरी दोग में ही मेरी आखरी सांस हो......!!!!



प्रभात.........

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