बस दो रोटी की मुझे तलाश है...!!! Hindi bachpan poem

नमी सी है इन आंखों में,
बहती आंसुओं की धार है...

तनहा सी इस जिंदगी में,
न अपनों का प्यार है...

न मां की दुलार मिलती,
न पिता का सर पे साया है...

जब से होश संभाला,
इन सड़कों ने ही पाला है...

जब भी रोया दर्द से,
रब एक तुझे ही पुकारा है...

पेट की भूख क्या होती,
इसका मुझे एहसास है...

फैला देता हूं हाथ मैं,
बस दो रोटी की मुझे तलाश है...!!!

प्रभात........

Comments

Popular posts from this blog

डर लगता है तुझे खोने से......!!! ( Dar lagta hai tujhe khone se..!!)Hindi love poem

"माँ" के लिए मैं क्या लिखूं....? माँ ने तो खुद मुझे लिखा है.....Hindi suvichar

चढाऊँ क्या तुझे भगवन.....?? प्रार्थना सुबह की....