मेरे मन की बात लिख देता हूं.......!!! Hindi Human being poem

नज़रें, चेहरा और फितरत मैं,
सबकी पढ़ लेता हूं....!

कौन कहेता है की मैं,
सिर्फ कविता ही लिख लेता हूं....!

उन्हें भी गले लगा लेता हूं,
जो मुझसे खफा रहते हैं....!

मुस्कुरा कर दिलों की सारी,
मैं रंजिशे मिटा देता हूं....!

बड़े बुजुर्गो का आदर करना,
यह मेरे संस्कार है....!

अपने मां-बाप को मैं,
भगवान् का दर्जा देता हूं....!

कदर करता हूं उन रिश्तों की,
जिन रिश्तों से जुड़ा हूं मैं....!

हर रिश्तों का फ़र्ज़ मैं,
बखुबी निला लेता हूं....!

धर्म, जाति को परे रख,
सिर्फ इंसानियत को पहचानूं मैं....!

मन को मेरे जो सही लगे,
हमेशा वही मैं लिख देता हूं....!

प्रभात........

Comments

  1. वाह बहुत सुन्दर. ... भाई साहब

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  2. Wow very beautiful... Brother

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    Replies
    1. शुक्रिया भाई जान

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    2. so nice poem dr Prabhat
      Ese hi kavitae likhte rahe or hm tarif karte rhe 👈

      Pratibha ka 🙏
      🌹💞💞💞😘👈

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    3. शुक्रिया हां बिल्कुल जब तक है दिल में एहसास तब तक कलम लिखती रहेगी प्रतिभा
      🌹😊🙏🍫🎁

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