मेरी तिश्नगी बन गई ग़ज़ल.......!!! Hindi gazal
रब की रहमत हो तो सबकुछ मिल जाया करता है।
जलते सहरा में भी फूल खिल जाया करता है।।
एक मुलाकात में तफ्तीश कहां मुमकिन है।
आदमी तो आज का परतों में खुला करता है।।
जिंदगी बन के मुझमें बसा है वो।
सांस दर सांस वो मेरे साथ रहा करता है।।
जबसे सिखा है हुनर-ए-ग़ज़ल लिखने का।
मेरा किरदार भी सभी रूहों में बसा करता है।।
खुदा करे नेमतें उनकी भी पुरी हों।
दर्द में भी जो हंसके जिया करता है।।
हक मेरा भूल गया कोई मेरा अपना।
जो फ़र्ज़ मेरे सारे खुब याद रखा करता है।।
हमसफ़र बनकर वो मेरा सदा साथ चलता है।
दर्द भी साये की तरह मेरे साथ चला करता है।।
तिश्नगी देख मेरी बादल भी हुआ हैरां।
अब्र बनकर जो मेरे हाथों में गिरा करता है।।
प्रभात..........
जलते सहरा में भी फूल खिल जाया करता है।।
एक मुलाकात में तफ्तीश कहां मुमकिन है।
आदमी तो आज का परतों में खुला करता है।।
जिंदगी बन के मुझमें बसा है वो।
सांस दर सांस वो मेरे साथ रहा करता है।।
जबसे सिखा है हुनर-ए-ग़ज़ल लिखने का।
मेरा किरदार भी सभी रूहों में बसा करता है।।
खुदा करे नेमतें उनकी भी पुरी हों।
दर्द में भी जो हंसके जिया करता है।।
हक मेरा भूल गया कोई मेरा अपना।
जो फ़र्ज़ मेरे सारे खुब याद रखा करता है।।
हमसफ़र बनकर वो मेरा सदा साथ चलता है।
दर्द भी साये की तरह मेरे साथ चला करता है।।
तिश्नगी देख मेरी बादल भी हुआ हैरां।
अब्र बनकर जो मेरे हाथों में गिरा करता है।।
प्रभात..........
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