बिन राधा और मीरा के, प्रेम शब्द भी आधा है......!! Hindi love poem

प्रेम की परिभाषा तो,
कृष्ण और राधा है............

बिन राधा और मीरा के,
प्रेम शब्द भी आधा है..................

विष को अमृत मान,
जब पिया था मीरा ने...................

ये सृष्टि तो आज भी,
प्रेम में बाधा है............................

प्रेम ही आस्था है,
प्रेम ही पुजा है.........…................

प्रेम को रचने वाला भी,
देखो खुद विधाता है.....................

यूं तो दिवानी थी कृष्ण की,
सारी ही गोपियां...........................

फिर कृष्ण के साथ,
नाम जुड़ा क्यूं राधा है.....................?

लोग कहते फिर भी मुझसे,
की तुम मत जाना इस पथ पे.............

केवल नाम मात्र है यह प्रेम,
इसमें बहती आंसुओं की धारा है.........!!!!

प्रभात.............

Comments

Popular posts from this blog

डर लगता है तुझे खोने से......!!! ( Dar lagta hai tujhe khone se..!!)Hindi love poem

"माँ" के लिए मैं क्या लिखूं....? माँ ने तो खुद मुझे लिखा है.....Hindi suvichar

चढाऊँ क्या तुझे भगवन.....?? प्रार्थना सुबह की....