कोई अपना बेहद याद आता है.....!! Hindi sad poem
बनावटी दोस्तों की सोहबत मे,
दिन तो कट जाता है......!
मगर रात के अन्धेरों मे,
कोई अपना बेहद याद आता है.....!
💠⚪⚪🔶⚫⚫💠
हसता रहता हूं,
झूठा ही सही महफीलों मे......!
मगर तन्हायी मे,
वो चेहरा बड़ा रूलाता है......!
💠⚫⚫🔷⚪⚪💠
शायर हूं तो,
तारीफ सबकी करता हूं......!
मगर सच पुछिये तो उसके सिवा,
दिल को कोई और कहां भाता है.....!
💠⚪⚪🔶⚫⚫💠
कोशिश बहुत की के,
उसे भुल जाऊं मै......!
मगर आज भी सजदे मे,
पहला नाम उसी का आता है.....!
💠⚫⚫🔷⚪⚪💠
तंग हो गया हूं,
इस बनावटी दुनिया से मै.......!
यहां तो खुद का साया भी,
घने अंधेरे मे साथ छोड़ जाता है.......!!
💠⚪⚪🔶⚫⚫💠
प्रभात..........
तेरा मेरा साथ रहे 👫
दिन तो कट जाता है......!
मगर रात के अन्धेरों मे,
कोई अपना बेहद याद आता है.....!
💠⚪⚪🔶⚫⚫💠
हसता रहता हूं,
झूठा ही सही महफीलों मे......!
मगर तन्हायी मे,
वो चेहरा बड़ा रूलाता है......!
💠⚫⚫🔷⚪⚪💠
शायर हूं तो,
तारीफ सबकी करता हूं......!
मगर सच पुछिये तो उसके सिवा,
दिल को कोई और कहां भाता है.....!
💠⚪⚪🔶⚫⚫💠
कोशिश बहुत की के,
उसे भुल जाऊं मै......!
मगर आज भी सजदे मे,
पहला नाम उसी का आता है.....!
💠⚫⚫🔷⚪⚪💠
तंग हो गया हूं,
इस बनावटी दुनिया से मै.......!
यहां तो खुद का साया भी,
घने अंधेरे मे साथ छोड़ जाता है.......!!
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प्रभात..........
तेरा मेरा साथ रहे 👫
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