जब भी तुम रूठी हो....!! Hindi love poem

ना तुम मेरी सुनती हो, 
ना ही खुद कुछ कहेती हो.........!

जब भी तुम रूठी हो, 
जाना बस ऐसा करती हो.........!

जब पूछूँ मैं तुमसे, 
बता हुई खता क्या मुझसे...........?

बस इतना ही सुनते तुम,  
बडे जोर से रोती हो..........!

जब भी तुम रूठी हो..........

मैं तुम्हें मनाने की, 
हर कोशिश करता हूं............!

जब तुम्हें मनाऊं तो,
बडे नखरे करती हो...........!

जब भी तुम रूठी हो..........

कभी हाथ जोडूं तो, 
कभी कान पकड़ता हूं...........!

तब तुम देख मुझे, 
थोडा मुस्कृराती हो...........!

जब भी तुम रूठी हो..........

फिर दौड के तुम मेरे,
गले से लगती हो...........!

मेरी सिकायत भी तुम,
खुद मुझसे ही करती हो..........!

जब भी तुम रूठी हो..........

कोई खता न हो फिर से,
ये तुम मुझसे कहती हो.........!

इस बात के लिए तुम मुझे,
अपनी कसम खिलाती हो..........!!

जब भी तुम रूठी हो..........

प्रभात...........
तेरा मेरा साथ रहे 👫

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