आज का मॉडर्न परिवार........ Hindi family poem
आज का मॉडर्न परिवार
सब परिवार जनों के,
अलग-अलग ही विचार हैं..........!
आपस में बैर और,
द्वेष से भरा पुरा परिवार है...........!
राहों में एक दूसरे की,
कांटे बिछाने को सारे तैयार हैं..........!
ना भाई को भाई यहां सुझता,
ना बेटा अपने मां-बाप को पूजता...........!
ना ढंग का पहनावा किसी का,
ना ही प्यार की बोली कोई बोलता...........!
ना त्यौहारों में हुड़दंग यहां मचता,
ना बाल गोपाल की टोली कंही दिखती...........!
ना मां की कभी डांट पड़ती,
ना बाप का कभी चांटा पड़ता...........!
आज की पीढ़ी के लिए तो,
मां-बाप उनकी राह के बस कांटे ही लगते............!
अगर कहीं कुछ है तो बस,
मां की सिसकियां और बाप की मजबूरी है...........!
अपने कलेजे के टुकड़े से,
मां बाप की ही दूरी है.............!
घर में है तो रोज बच्चों से,
मिलती उन्हें दुत्कार है.............!
या फिर अंत में जाना पड़ता उन्हें,
वृद्धा आश्रम के ही द्वार है............!
ना कोई संस्कृति है यहां,
ना इनमें कोई संस्कार है.............!
आज के मॉडल युग में यारों,
ऐसा ही परिवार है.............!
प्रभात..........
सब परिवार जनों के,
अलग-अलग ही विचार हैं..........!
आपस में बैर और,
द्वेष से भरा पुरा परिवार है...........!
राहों में एक दूसरे की,
कांटे बिछाने को सारे तैयार हैं..........!
ना भाई को भाई यहां सुझता,
ना बेटा अपने मां-बाप को पूजता...........!
ना ढंग का पहनावा किसी का,
ना ही प्यार की बोली कोई बोलता...........!
ना त्यौहारों में हुड़दंग यहां मचता,
ना बाल गोपाल की टोली कंही दिखती...........!
ना मां की कभी डांट पड़ती,
ना बाप का कभी चांटा पड़ता...........!
आज की पीढ़ी के लिए तो,
मां-बाप उनकी राह के बस कांटे ही लगते............!
अगर कहीं कुछ है तो बस,
मां की सिसकियां और बाप की मजबूरी है...........!
अपने कलेजे के टुकड़े से,
मां बाप की ही दूरी है.............!
घर में है तो रोज बच्चों से,
मिलती उन्हें दुत्कार है.............!
या फिर अंत में जाना पड़ता उन्हें,
वृद्धा आश्रम के ही द्वार है............!
ना कोई संस्कृति है यहां,
ना इनमें कोई संस्कार है.............!
आज के मॉडल युग में यारों,
ऐसा ही परिवार है.............!
प्रभात..........
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