तुम्हारी आंखें.......!! Hindi love poem......
((👱))--प्रभात............
क्या कहती हैं........?
मुझसे तुम्हारी आखें.........!
क्या ढुढ़ती है........?
मुझमें तुम्हारी आंखें..........!
कोई इशारा तो दो........?
जिससे ये उलझन सुलझे.........!
कभी लगता है.........?
कोई सवाल करती है तुम्हारी आंखें..........!
कभी लगता है.........?
कुछ केहना चाहती है तुम्हारी आंखें..........!
फिर लगता है यू ही..........!
अजनबी सी है तुम्हारी आंखें...........!
कभी चाहती सी........
कभी भागती सी........
कभी उलझती सी.......
कभी झांकती सी........
है तुम्हारी आंखें……….
((👸))-प्रतिभा.............
तुम्हें हर पल,
देखना चाहती है मेरी आंखें.........!
हर पल तुम्हारा ही अक्स,
ढूंढती रहती है मेरी आंखें........!
अपनी चाहत को,
इशारों में बताना चाहती है मेरी आंखें........!
कैसे कहूं तुमसे दिल की बातें,
यही सवाल में उलझी रहती है मेरी आंखें..........!
खामोश लफ्जों में भी,
तुमसे बहोत कुछ कहती है मेरी आंखें.........!
मेरी आंखों की जुबान जब तुम पढ़ नहीं पाते,
तब अजनबी सी लगती है तुम्हें मेरी आंखें.........!
बस तुम्हें ही चाहती है.......
तुम्हें ही सोचती है.......
तुम्हें ही हर पल ये खोजती है.......
खुशी में तुम्हारे ये खुश रहती है.......
गम में तुम्हारे हर बार रो पड़ती है मेरी आंखें........!
बस इतना पता है मुझे की,
तुमसे बहोत प्यार करती है मेरी आंखें..........!!
प्रभात......... प्रतिभा..........
तेरा मेरा साथ रहे 👫
क्या कहती हैं........?
मुझसे तुम्हारी आखें.........!
क्या ढुढ़ती है........?
मुझमें तुम्हारी आंखें..........!
कोई इशारा तो दो........?
जिससे ये उलझन सुलझे.........!
कभी लगता है.........?
कोई सवाल करती है तुम्हारी आंखें..........!
कभी लगता है.........?
कुछ केहना चाहती है तुम्हारी आंखें..........!
फिर लगता है यू ही..........!
अजनबी सी है तुम्हारी आंखें...........!
कभी चाहती सी........
कभी भागती सी........
कभी उलझती सी.......
कभी झांकती सी........
है तुम्हारी आंखें……….
((👸))-प्रतिभा.............
तुम्हें हर पल,
देखना चाहती है मेरी आंखें.........!
हर पल तुम्हारा ही अक्स,
ढूंढती रहती है मेरी आंखें........!
अपनी चाहत को,
इशारों में बताना चाहती है मेरी आंखें........!
कैसे कहूं तुमसे दिल की बातें,
यही सवाल में उलझी रहती है मेरी आंखें..........!
खामोश लफ्जों में भी,
तुमसे बहोत कुछ कहती है मेरी आंखें.........!
मेरी आंखों की जुबान जब तुम पढ़ नहीं पाते,
तब अजनबी सी लगती है तुम्हें मेरी आंखें.........!
बस तुम्हें ही चाहती है.......
तुम्हें ही सोचती है.......
तुम्हें ही हर पल ये खोजती है.......
खुशी में तुम्हारे ये खुश रहती है.......
गम में तुम्हारे हर बार रो पड़ती है मेरी आंखें........!
बस इतना पता है मुझे की,
तुमसे बहोत प्यार करती है मेरी आंखें..........!!
प्रभात......... प्रतिभा..........
तेरा मेरा साथ रहे 👫
Comments
Post a Comment