मांग में चुटकी भर सिंदूर लगा के........ Hindi love poem........
मांग में चुटकी भर सिंदूर लगा के,
बालों में गजरा सजाती है..........!
जब पहनले वो साड़ी तो,
किसी हूर से कम नहीं लगती है.........!
कल तक थी जो बेटी किसी की,
आज बहू का दर्जा वो निभाती है.........!
सास-ससुर की मर्यादा के लिए
अपने सिर पर पल्लू वो रखती है..........!
रंगीन कांच की चूड़ियों से,
सजी रहती है उसकी कलाई..........!
उसकी चूड़ियों की खनक जैसे,
मुझे पास बुलाती रहती है..........!
चलती है यूं तो वो दबे पांव
पर उसकी पाजेब शोर मचाती है..........!
लचकती उसकी कमर के साथ,
उसकी चोटी भी लहराती है...........!
चुपके से यूं नजर उठाकर,
जब उसे मैं देख लेता हूं...........!
वो भी मुझे देख कर तब,
मन ही मन मुस्कुराती है............!
होती तब थोड़ी शरारत,
बस इशारों ही इशारों में............!
समझ कर वो मेरे इशारे,
शर्म से पानी पानी हो जाती है...........!
हुस्न तेरा देख कर मेरी जान,
मैं कुछ न कुछ लिख देता हूं............!
तुझे पाकर ओ मेरी "प्रतिभा",
मैं खुद को खुशनसीब समझता हूं...........!
प्रभात........
तेरा मेरा साथ रहे 👫
बालों में गजरा सजाती है..........!
जब पहनले वो साड़ी तो,
किसी हूर से कम नहीं लगती है.........!
कल तक थी जो बेटी किसी की,
आज बहू का दर्जा वो निभाती है.........!
सास-ससुर की मर्यादा के लिए
अपने सिर पर पल्लू वो रखती है..........!
रंगीन कांच की चूड़ियों से,
सजी रहती है उसकी कलाई..........!
उसकी चूड़ियों की खनक जैसे,
मुझे पास बुलाती रहती है..........!
चलती है यूं तो वो दबे पांव
पर उसकी पाजेब शोर मचाती है..........!
लचकती उसकी कमर के साथ,
उसकी चोटी भी लहराती है...........!
चुपके से यूं नजर उठाकर,
जब उसे मैं देख लेता हूं...........!
वो भी मुझे देख कर तब,
मन ही मन मुस्कुराती है............!
होती तब थोड़ी शरारत,
बस इशारों ही इशारों में............!
समझ कर वो मेरे इशारे,
शर्म से पानी पानी हो जाती है...........!
हुस्न तेरा देख कर मेरी जान,
मैं कुछ न कुछ लिख देता हूं............!
तुझे पाकर ओ मेरी "प्रतिभा",
मैं खुद को खुशनसीब समझता हूं...........!
प्रभात........
तेरा मेरा साथ रहे 👫
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