मैं और वो.... Hindi love poem....
मैं और वो....
मैं सुबहा की पहेली किरण हुं तो,
वो शाम सी मदहोश है.......
मैं अगर रस का प्याला हुं तो,
वो मदिरा का कोस है.......
मैं ईश्क नदियों सा निर्मल हूं तो,
वो प्यार सागर सा गहेरा है.......
मैं धुंध अगर हुं ओस की तो,
वो चाँदनी का पहेरा है.......
मैं अगर मंडराता बेताब भंवरा हुं तो,
वो गुलाब की कमसीन कली है.......
मैं जो ठहरा शांत सरोवर हुं तो,
वो उछलते झरने सी मंनचली है......
मैं अगर दो नैंन हुं तो,
वो नैंनो की हर आस है......
मैं अगर बेखुमार खुशी तो,
वो ही उसका अहेसास है........
मैं कोयल की कूंक हुं तो,
वो पपीहे की पी-कहन है.......
मैं जो ढलती रात हुं तो,
वो उस रात का रोशन जहान है......
मैं जो जिंदा हूं तो,
वो मेरी जिंदगी की हर सांस है......
उससे ही तो वजूद है मेरा,
वो नहीं तो बे-वजूद हूं मैं......
प्रभात......
तेरा मेरा साथ रहे 👫
मैं सुबहा की पहेली किरण हुं तो,
वो शाम सी मदहोश है.......
मैं अगर रस का प्याला हुं तो,
वो मदिरा का कोस है.......
मैं ईश्क नदियों सा निर्मल हूं तो,
वो प्यार सागर सा गहेरा है.......
मैं धुंध अगर हुं ओस की तो,
वो चाँदनी का पहेरा है.......
मैं अगर मंडराता बेताब भंवरा हुं तो,
वो गुलाब की कमसीन कली है.......
मैं जो ठहरा शांत सरोवर हुं तो,
वो उछलते झरने सी मंनचली है......
मैं अगर दो नैंन हुं तो,
वो नैंनो की हर आस है......
मैं अगर बेखुमार खुशी तो,
वो ही उसका अहेसास है........
मैं कोयल की कूंक हुं तो,
वो पपीहे की पी-कहन है.......
मैं जो ढलती रात हुं तो,
वो उस रात का रोशन जहान है......
मैं जो जिंदा हूं तो,
वो मेरी जिंदगी की हर सांस है......
उससे ही तो वजूद है मेरा,
वो नहीं तो बे-वजूद हूं मैं......
प्रभात......
तेरा मेरा साथ रहे 👫
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