इन आंखों की इनायत हैं....... Hindi love poem

इन आंखों की इनायत हैं,
के तू मेरी चाहत है.........

खुदा से मैं और क्या मांगू,

तू उनकी ही रहमत है........

नूर-ए-आफताब से तो,

रोशन है ये ज़हां.......

मेरी जिंदगी के अंधेरों का 

तू ही रोशन चराग है......

बे-फिकरी में अब तो,

गुज़रते है ये दिन........

मेरी पहली और आखिरी,

तू ही वो ख्वाहिश है......

दर्द की क्या बिसात के,

अब मुझे वो रूलाए.......

मेरे हर दर्द की जबसे,

तू बन गई राहत है.......

यारों लिखने बैठूं तो

ये उम्र कम पड़ जाए.....

ऐसी मेरी मोहब्बत की

अनोखी हर दास्तां है.....


प्रभात.......

तेरा मेरा साथ रहे 👫

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