तुम्हें ढूँढने हम जाए कहाँ...... Hindi love poem...
तुम्हें ढूँढने हम जाए कहाँ.....
अपने विरह की आग बुझाए कहाँ......
तुम्हे ढूँढने……………….
तेरी नजर में, जुल्फों में, मुस्कान में......
उलझा है ये दिल उसे छुडाये कहाँ.....
तुम्हे ढूँढने……………….
बित रहें हैं जो लम्हें तुमसे दूर रहकर.....
उन लम्हों का दर्द हम मिटाएं कहाँ.....
तुम्हे ढूँढने……………….
जिनकी नजर देख हम खुद बन गये मरीज......
ऐसे मर्ज को मरीज दिखाए कहाँ......
तुम्हे ढूँढने……………….
दिन रात अश्रु धारा बरसती तो है मगर.....
मन में लगी है जो आग उसे बुझाए कहाँ.....
तुम्हे ढूँढने……………….
तुम्हे ढूँढने हम जाए कहाँ.....
अपने विरह की आग बुझाए कहाँ.....
प्रभात......
अपने विरह की आग बुझाए कहाँ......
तुम्हे ढूँढने……………….
तेरी नजर में, जुल्फों में, मुस्कान में......
उलझा है ये दिल उसे छुडाये कहाँ.....
तुम्हे ढूँढने……………….
बित रहें हैं जो लम्हें तुमसे दूर रहकर.....
उन लम्हों का दर्द हम मिटाएं कहाँ.....
तुम्हे ढूँढने……………….
जिनकी नजर देख हम खुद बन गये मरीज......
ऐसे मर्ज को मरीज दिखाए कहाँ......
तुम्हे ढूँढने……………….
दिन रात अश्रु धारा बरसती तो है मगर.....
मन में लगी है जो आग उसे बुझाए कहाँ.....
तुम्हे ढूँढने……………….
तुम्हे ढूँढने हम जाए कहाँ.....
अपने विरह की आग बुझाए कहाँ.....
प्रभात......
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