मुझे सपनों में जीने की अब आदत हो गई.......!! G...N.... Hindi poem

चरागों की लौं जब बुझने लगी,
नूर-ए-चांद से ये रात रोशन हुई......!

रात और भी हसीन लगने लगी,
जब जुगनू ओ की लड़ी बन गई......!

जमी पर सितारों ने रखें कदम,
नींद से आंखें जब बोझिल हुई......!

बंद पलकों में ख्वाब आने लगे,
नींद में लबों पे मुस्कान आ गई.......!

देखा करते हम जिसे दूर से ही,
वो नाज़नीन मेरे करीब आ गई.......!

अपनी चाहत उसपे लूटाने लगा,
मेरी मोहब्बत जैसे मुझे मिल गई.......!

ए खुदा तू तोड़ ना देना ये सपना मेरा,
मुझे सपनों में जीने की अब आदत हो गई.......!!


प्रभात........

तेरा मेरा साथ रहे 👫

Comments

  1. बहुत ही संवेदनशील रचना है

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  2. शुक्रिया रिंकी जी 🙏

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