मैं जब भी अपने सिने से तुझे लगा लूँगा....love Hindi poem

मैं जब भी अपने सिने से तुझे लगा लूँगा....
सुकून दोनो जँहा को एक पल में ही पा लूँगा....

मेरे रोम रोम में तेरा कब्जा हो गा,
मैं अपने खून-ए-जिगर में तुझे बसा लूँगा....

रिहाई तुझको मीलेगी नही मेरी जान से,
मैं तेरी जुल्फो में खुद को इस कदर उलझा लूँगा....

तोड़ के सारी शर्म-ओ-हाय की दीवार,
बस तुझे अपनी बाँहों में भर लूँगा....

ना रहे तू तेरे बस में और ना रहे खुद पर काबू,
इस कदर दोनों की नस-नस में प्यार भर लूँगा....

बस....

मैं जब भी अपने सिने से तुझे लगा लूँगा....
सुकून दोनो जँहा का एक पल में पा लूँगा....

प्रभात.......

तेरा साथ रहे 👫

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