कास मेरे पास एक ऐसी कलम होती..love Hindi poem
कास मेरे पास एक ऐसी कलम होती..
जिससे मैं अपना नसिब लीख सकता..
तो मैं अपने नसिब में तेरा नाम लीख देता..
जो अक्सर तुम्हें मुझसे शिकायत होती थी..
के मैं तुम्हें याद नही करता..
दिन के हर गुजरते लम्हो में..
तुम्हें ढेरों पयगाम लीक देता..
तुम तो रूख मोड़ कर..
चल दिए दूसरी तरफ..
वरना खुशनुमा सा मैं अपनी..
मोहोब्बत का अंजाम लीख देता..
एक खूबसूरत सी सुबहा..
जो तुम्हारी मोहोब्बत से शुरू होती है..
ओर जो कभी ना ढलती..
एसी हर एक शाम लीख देता..
अपने दिल की किताब के..
हर पन्नों पर तुम्हारा नाम लीखता मैं..
हमारी बेपनाह मोहोब्बत का..
एक नया इतिहास मैं लीख देता..
करता हुं कितना तुमसे प्यार मैं..
ये बात आज सार-ए-आम लीख देता..
कास मेरे पास एक एसी कलम होती..
तो मैं अपने नसिब में मैं तेरा नाम लीख देता..
प्रभात......
तेरा मेरा साथ रहे 👫
जिससे मैं अपना नसिब लीख सकता..
तो मैं अपने नसिब में तेरा नाम लीख देता..
जो अक्सर तुम्हें मुझसे शिकायत होती थी..
के मैं तुम्हें याद नही करता..
दिन के हर गुजरते लम्हो में..
तुम्हें ढेरों पयगाम लीक देता..
तुम तो रूख मोड़ कर..
चल दिए दूसरी तरफ..
वरना खुशनुमा सा मैं अपनी..
मोहोब्बत का अंजाम लीख देता..
एक खूबसूरत सी सुबहा..
जो तुम्हारी मोहोब्बत से शुरू होती है..
ओर जो कभी ना ढलती..
एसी हर एक शाम लीख देता..
अपने दिल की किताब के..
हर पन्नों पर तुम्हारा नाम लीखता मैं..
हमारी बेपनाह मोहोब्बत का..
एक नया इतिहास मैं लीख देता..
करता हुं कितना तुमसे प्यार मैं..
ये बात आज सार-ए-आम लीख देता..
कास मेरे पास एक एसी कलम होती..
तो मैं अपने नसिब में मैं तेरा नाम लीख देता..
प्रभात......
तेरा मेरा साथ रहे 👫
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